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मुंबई हमले के आरोपी अजमल आमिर कसाब की फांसी के बाद आज सुबह संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई… कई नेताओं ने अफजल के फांसी पर बयान दिये हैं….किसी ने कहा कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया थी और फांसी तो उसे होनी ही थी…. इसे चुनाव या फिर राजनीति के तौर पर न देखा जाए….लेकिन सवाल ये कि आखिर क्यों अफजल की फांसी के लिए लगभग 12 साल का इंतजार किया गया…. क्या कांग्रेस सरकार को पता था कि ऐसे समय में जब देश के नागरिकों का सरकार और पार्टी पर से विश्वास उठ जाएगा, तब जाकर ऐसा कदम उठाया जाएगा कि कम से कम लोगों को लगे कि वर्तमान सरकार भी देशहित में फैसले लेने में सक्षम है…. कसाब की फांसी के लगभग डेढ़ महीने के बाद अफजल को फांसी…. तो यही कहने की कोशिश कर रहा है….. ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब देश में लहर है कि केवल मोदी ही ऐसे लोगों से सख्ती से निबट सकते हैं…. तो ऐसे में कहीं न कहीं कांग्रेस ऐसा करके यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि केवल मोदी ही नहीं वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी मंडली भी महंगाई को पाटने के लिए ही नहीं बल्कि आंतकियों के सजा के बारे में भी कड़े फैसले ले सकती है….. क्या माना जाना चाहिए कि ऐसे समय में जब देश की तमाम चैनल चुनाव सर्वे में यह दिखा रहे है कि इस बार लोस चुनाव में कांग्रेस का जाना तय है तो ऐसे में शायद कांग्रेस लोगों का दिल जीतने के लिए ऐसा कदम उठा रही हो…ऐसा हो सकता है…. जब देश में इस बार राष्ट्रपति चुनाव हो रहे थे तो ये भी सवाल थे कि क्या कसाब और अफजल गुरु जैसे आतंकियों को प्रणब मुखर्जी (तब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार) फांसी पर लटकाने का आदेश देंगे….लेकिन प्रणब मुखर्जी (अब राष्ट्रपति) ने अपना कार्यभाल संभालते ही धड़ाधड़ आतंकियों के दो विकेट चटका दिए है… अब किसका नंबर है…ये तो राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय ही जाने लेकिन कसाब और अफजल की फांसी के बाद यह नहीं कह सकते की भारत की जनता की वर्तमान सरकार पर भरोसा बढ़ेगा लेकिन यकिनन लोगों का भरोसा तो कायम रहेगा ही….कि भारत सरकार भी किसी को दमाद बनाकर रखने का शौक नहीं रखती….ये फैसला कहीं न कहीं पाकिस्तान के लिए भी कड़ी चुनौती होगी जो सीमा पर और उसके आसपास घिनौनी हरकते करने से बाज नहीं आ रहा है….
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