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विरोध करने का ये भी तरीका

लगे तो लगे
लगे तो लगे
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देश सहित विदेश में कई ऐसे मौके आये जब नेताओं और नामी-गिरामी लोगों के उपर जूते फेंके गये… और जब जब ये जूते चले मीडिया में मामला वायरल की तरह फैल गया… जिसपर जूता फेंका गया…जाहिर सी बात है कि वो तो पहले से विख्यात होगा लेकिन जिसने जूता फेंका वो भी रातों-रात स्टार बन गया… मुझे कुछ ठीक से याद नहीं लेकिन इतना जरुर याद है कि किसी ने किसी के उपर जूता फेंका था बाद में उसका जूता काफी बड़ी रकम में नीलाम हुआ था…. हां बात 2008 की है…जब शायद सबसे पहले इराक के पत्रकार मुंतजिर अल जैदी ने एक प्रेसवार्ता में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के उपर जूता उछाला था…. जिसके बाद यह जूता कांड पूरे विश्व के अखबारों और समाचार पत्रों की सुर्खियां बनीं थी और बाद में मुंतजिर पर पैसों की बारिश हुई थी… उसके बाद तो सिलसिला चल पड़ा… कभी बात स्याही और कालिख तक और फिर बाद में शर्ट उतारने तक भी बात पहुंची… जूता कांड की बात करें तो भारतीय नेताओं में देश के गृहमंत्री पी चिदंबरम, एलके आडवाणी, कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम शामिल है… वर्तमान में या कहे कि आज अगर इसकी चर्चा हो रही है तो इसकी वजह हाल ही में अपने हमवतन पाकिस्तान लौटे पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ है जिनके उपर आज जूता फेंका गया…. खैर इन नेताओं को समझना होगा कि ये जनता के विरोध करने का भी तरीका है…. वो तो भला हो कि उन्हें बकायदा चैक करके भेजा जाता है नहीं तो उक्त नेताओं का भगवान ही मालिक है…. साथ भी ये भी कि अगर वक्त रहते ये न सुधरे तो हो सकता है कि इनके उपर कुछ और भी फेंका जाने लगे… अब इस कुछ में कुछ भी हो सकता है ये तो जनता या कहे कि राजनीति और सत्ता से उब चुकी जनता ही जानती है…. एक समय था कि विरोध करने के लिए टमाटर या अंडे फेंके जाते थे… लेकिन समय बदला तो विरोध करने का तरीका भी बदल गया…. बात अंडे और टमाटर से जूते तक पहुंच चुकी है…

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