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आज के समाज को आप क्या कहेंगे ? लोग तो जिसकी सुनते है उसकी ही तरफ हो जाते है जैसे की अभी उस बच्ची के साथ में दुष्कर्म हुआ तो उसे मीडिया ने ऐसा तूल दिया की पुरे देश में एकजुटता का होना दिखा पर ऐसा तब ही क्यों होता है कि जब कोई एक इंसान के साथ में ऐसी घटना होती है और उसकी आवाज़ जब पत्रकार उठाते है तभी हम जनता जनार्दन कि नींद टूटी है ? पर क्या कानून बनाने से कुछ लाभ हुआ है इस देश को या पीडितो को ? लोग आज भिओ वोही दुष्कर्म करते जा रहे है और जब से कानून बन्ने कि बात आई है तब से तो कुछ ज्यादा ही केश सामने आये है और नित्य ही अखबारों के प्रस्थो पर छपे हुए पाए जाते है | एक क्रांति जरूर आई पर पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा है कि दुष्कर्मियो कि हिम्मत में भी बहुत ज्यादा बल आ गया है | तभी तो वोह अब दिन दहरे ही ऐसे कारनामे कर रहे है | मैंने जब से उस पीडिता का केश हुआ तब नित्य ही अखबार में अब तक सायद ही पड़ा हो कि कही दुराचार नहीं हुआ हो | लोग कहते है कि इन्साफ हो पर सर्कार वायदे करके जब तक उन पर अमल करेगी तब तक तो बहुत देर हो जाएगी क्योकि वैसे भी अपने देश में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है और तो और इस दुष्कर्म कही कही तो कानून के ही लोग सामिल हो जाते है जैसे कि मैंने पहले भी कहा है कि अखबार में ही लिखा था कि एक महिला अपने ऊपर हुए यौन शोषण कि रिपोर्ट लिखाने गयी तो उक्त अधिकारी ने उसका ही फायदा उठाया और फिर धमकी भी दी |
वोह तो अखबार वालो कि समाज ही देखो कि उन्होंने उस किस्से को उजागर किया और सायद अब आगे कुछ उस पर कार्यवाही हुई हो |पर आज भी मेरा सवाल येही है कि क्या हम कानून के सहारे कोई नतीजे पे पहुच सकते है ? क्योकि अगर हमारी कानून व्यवस्था अच्छी होती तो शायद आज हमारे देश में कोई जुर्म ऐसे ही नहीं होता रहता | कब तक चुप बठेंगे हम भारतीय और लोगो को मनमानी करने देंगे कि तुम जुर्म करते रहो हम सहते रहेंगे ? अगर हम अपने हुक के लिए नहीं लड़ेंगे तो कौन लडेगा ? जिंदगी में सफलता पाने के लिए भी म्हणत करनी ही पढ़ती है |
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