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आज कल जो कुछ भी हो रहा है। उसपे मंथन करते है ? कोरोना नामक बीमारी जो इस कदर बढ़ रही है की सायद भारत कुछ ही समय में नंबर १ के पायदान पे आ जायेगा। क्या ये संभव है के सवाल को भारत के नागरिक खुद सत्य करने में लगे है। क्योकि सरकारे तो अपना वोट बैंक को ही देख रहे है और एक दूसरे की गलती को गिन रहे है।
हद तो यह है की लोग समझते है की जब तक उनको नहीं होगा कोरोना तब तक उन्हें विश्वास ही नहीं होगा की कोरोना है भी। लोग अपने काम पे निकलने लगे है। सरकार को भी पता है कि समस्या बड़ी गंभीर है फिर भी राजनीति कैसे न करे ? वैसे हम हिंदुस्तानी एक दूसरे पे जब तक दोषारोपण न कर ले तब तक चैन नहीं आता है। फिर चाहे समस्या कितनी भी गंभीर क्यों न हो ?
डिस्क्लेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी भी दावे या आंकड़े का समर्थन नहीं करता है।
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