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यह देश एक समृद्धिशाली और सक्तिशाली राष्ट्र के रूप विकशित हो सकता है क्या कभी ?????

rbi updates
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इस देश की बेरोजगारी पे भी सरकार को ध्यान देना चाहिए | क्योकि बेरोजगारी के कारन ही आये दिन जुर्म बढ़ता जा रहा है | जिस पे सरकार कोई ध्यान ही नहीं दे रही है | अगर कानून अच्छा होता तो यह देश बदल जाता पर यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट रजा वाली कहावत सार्थक नज़र आती है | न तो आज के युवा के पास रोजगार है और न ही उसके पास कोई जीवन का फलसफा ही है | क्योकि आज का युवा इतना जान गया है की सरकार तो उसकी है ही कुछ भी करो सरकार उसका समर्थन करेगी नहीं तो वोह अपना समर्थन सरकार को नहीं  देंगे | इससे येही पता चलता है कि देश के युवाओ का जोर कितना है सरकार पर | तभी तो गुंडा गर्दी कि हद पार हो रही है दिन पर दिन और जब जब मुख्यमंत्री जी कहते है कि बदतमीजी बर्दास्त नहीं कि जायेगी तभी बदतमीजी कि भी जाती है |
कैसी विडंबना है कि एक मुख्यमंत्री कि क्या वकत रह गयी है | जब वोह कोई निर्णय लेता है तो उसी के लोग उसके विपरीत काम करना सुरु कर देते है | बाद में अपना फैसला खुद कभी कभी उन्हें वापस लेना पड़ता है | वैसे ऐसा नेता होना या न होना एक ही बात है क्योकि वोह इतने बड़े अहोदे पर बैठे है पर क्या वास्तव में उनके पास वोह अधिकार ही नहीं जिस अहोदे पे उन्हें जनताजनार्दन ने बिठा रखा है वोह सिर्फ कुछ लोगो के हाथ कि कठपुतली बनकर रह गए है तो इस प्रदेश का क्या होगा | जाती विशेष कि बात कि जाए तो कुछ लोग उनके बनाये जाने से अपने आप को ही उनके तुल्य समझते है | और मनमाने ढंग से तानासाही कर रहे है | लोगो पे दबाओ दाल कर दुसरो कि संपत्ति भी हरप रहे है | क्योकि उन्हें मालूम है कि सरकार तो अपनी ही है और नेता से लेकर दरोगा तक बस उन्ही के है | तो दर किस बात का | जो कहो वो करो |
यह किस्सा तो अभी मेरे साथ भी चल रहा है जब से जनाब कि सरकार क्या बन गयी जबरन ही मेरी जमीन पे कब्ज़ा कर लिया गया और एक आम आदमी कि तरह मैंने भी कोर्ट का सहारा लिया क्योकि पुलिस वाले तो मिले हुए थे उन्ही से | और हद तो देखिये तब हो गयी जब कोर्ट ने उस जमीन पे स्टे लगा दिया तब भी जनाब कोर्ट कि आदेश का उलंघन करके उस जगह पर मकान बनाने लगे | यह तो उप्पेर तक सिकायत करने पर ही जमीन पर काम बंद हुआ | उसमे भी दबंगई देखिये उनकी पुलिस डरने कि कोशिश कर रहे थे जनाब |
चलो कुछ तो खैर हुआ अभी तारीख पे तारीख ही हो रही है और कोई सुनवाई हो ही नहीं रही क्योकि ओप्पोसिशन आती ही नहीं है साल भर से उप्पर हो गया जब से सरकार बनी तभी से यह अराजकता भी चालू हो गयी है |
जिन्दगी में कुछ नेता तो सायद नाम के लिए ही बनाये जाते है | सायद उन्ही में इनका नाम भी जज भविस्य में | लड़ाई  झगड़ा दंगा फसाद बस येही हो रहा है आज इस देश में | जब कोई फरमान आता है कि कढ़ी से कढ़ी कारवाही होगी तो जरुर कुछ न कुछ ऐसा होता आया है कि कार्यवाही हो जो कि होती नहीं है | कभी भी आप बयानो को जांच सकते है बस बाते करना तो आता है इन नेताओ को पर सही में कोई करने कि कुब्बत  नहीं है इनमे |  अपनी ही बातो में फंश जाते है और बेचारे बन कर जनताजनार्दन से वोट पा जाते है |
अगर इस देश में बिजली पानी और सडको के साथ में रोजगार  दिया जाए तो यह देश ऐश्वर्य साली देश के रूप में विकसित हो जायेगा और हर युवा अपने देश में ही रहेगा और यह देश एक समृद्धिशाली और सक्तिशाली राष्ट्र के रूप विकशित हो सकता है  क्या   कभी  ?????

कल रात भर पुलिस कि ही पिटाई होती रही है सैफई में | बताया जा रहा है ३०० करोड़ रूपए खर५च हुए है पूरे सैफई महोत्सव में | अगर ऐसे कामो में पैसे सर्कार बाद करेगी वोह भी इतनी अधिक मात्रा में तो इस देश में वोह दिन दूर नहीं जब देश तो कंगाल होगा पर नेताओ के पास कोई कमी नहीं होगी पैसो की | दंगा पीढ़ितों को एक पाक़ीज़ा नहीं मिला और इतना पैसा बस अपना एंटरटेनमेंट करने  के लिए ही सर्कार ने उढ़ा दिया | क्या बात है ?  जिंदगी में आदमी कितनी जल्दी दुसरो के दुःख दर्द को भूल जाता है | यह बात तो सायद सर्कार ने स्पष्ट ही कर दी है | अब इस पे राजनेतिक टूल पकड़ेगा | और हर इंसान इसे पैसे का दुरूपयोग बतायेगा |
पर क्या कभी किसी ने सोचा जब तक महोत्सव चल रहा था तब कोई नहीं बोला पर महोत्सव ख़तम होते ही हर विरोधी पार्टी दंगा पीढ़ितों की मदद के फिर शोर मचाना शुरू  कर देगी और सियासी चाले चली जाएँगी ताकि वोट और हमदर्दी दोनों ही जीती जा सके एक आम आदमी की | पैसा जब कर्च हो गया तब ही पता  चला की इतना खर्च हुआ इसका मतलब हुआ की दिलखोल के पैसा लुटाओ वैसे भी जनता का पैसा है हमारे बाप का क्या जाता है | येही सोच रहती होगी नेताओ की तभी अनाप सनाप पैसा उड़ाते है उसका कोई हिसाब भी नहीं देना पारदता है उन्हें |
अगर कोई ज्यादा बोलेगा तो जांच बैठाई जायेगी जिसका कोई निस्कर्ष तो सायद ही कभी निकला हो | और जब तक रिपोर्ट आती है तब तक तो सारे मजे वोह व्यक्ति ले हो चुका होता है | क्योकि देश की नेताओ की सोच भी सिमित हो गयी है उन्हें पता है की कब क्या करना है और कब क्या कहना है | पुलिस की स्थिति  तो न के बराबर ही समझो क्यो९कि जब उन्हें मौका मिलता है तो वोह भी एक आम आदमी को बहुत पेरशान करते है इसमें कोई दो राये नहीं है | अगर कोई नेता का परचित हुआ तो बच जाता है वरना तो नाप ही दिया जाता है  कहे उसकी गलती हो या न हो |
एक आदमी ने जरा सी अपनी गाडी बधाई तो त्रफ्फिक पोलिसेवाले ने तुरंत उसका चलन कर दिया और वही बिना हरे  सिग्नल के ही एक नेता बेटा  गाड़ी निकल देता है तो उसे कोई कुछ नहीं कहता है |
रोड को ले लीजिये  रोड पास करवाने के लिए अगर आप नेता जी के पास अकेले चले गए तो आप की कोई वैल्यू ही नहीं है और आप उनसे मिल तो लेंगे  पर वोह आपकी सिकायत दर्ज नहीं करेंगे क्योकि उन्हें लगेगा की अकेला आदमी क्या इसके वोट देने न देने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा | वोही जब हुज़ूम का हुज़ूम आता है तो उनकी पूरी बात सुनी जाती है और तो और चाय नास्ता भी कराया जाता है | मैंने तो बहुत सी पार्टी के नेताओ से मुलाकात की है पर १ -२ ही  ढंग का बन्दे दिखे की उनमे कुछ कर गुजरने की ख्वासिश है | पर सायद इस देश की जनता भी उन्ही हरामखोर लोगो को पसंद करती आयी है और देश में बदलाओ ही नहीं लाना चाहती है | पर मौका सबको देना चाहिए सायद कोई नेता हमारे देश को उन उचाइयो तक फिर से पंहुचा दे जैसे की हमारे कुछ भुत्वूर्वे नेताओ ने करने की कोशिश की थी |

कल रात भर पुलिस कि ही पिटाई होती रही है सैफई में | बताया जा रहा है ३०० करोड़ रूपए खर५च हुए है पूरे सैफई महोत्सव में | अगर ऐसे कामो में पैसे सर्कार बाद करेगी वोह भी इतनी अधिक मात्रा में तो इस देश में वोह दिन दूर नहीं जब देश तो कंगाल होगा पर नेताओ के पास कोई कमी नहीं होगी पैसो की | दंगा पीढ़ितों को एक पाक़ीज़ा नहीं मिला और इतना पैसा बस अपना एंटरटेनमेंट करने  के लिए ही सर्कार ने उढ़ा दिया | क्या बात है ?  जिंदगी में आदमी कितनी जल्दी दुसरो के दुःख दर्द को भूल जाता है | यह बात तो सायद सर्कार ने स्पष्ट ही कर दी है | अब इस पे राजनेतिक टूल पकड़ेगा | और हर इंसान इसे पैसे का दुरूपयोग बतायेगा |

पर क्या कभी किसी ने सोचा जब तक महोत्सव चल रहा था तब कोई नहीं बोला पर महोत्सव ख़तम होते ही हर विरोधी पार्टी दंगा पीढ़ितों की मदद के फिर शोर मचाना शुरू  कर देगी और सियासी चाले चली जाएँगी ताकि वोट और हमदर्दी दोनों ही जीती जा सके एक आम आदमी की | पैसा जब कर्च हो गया तब ही पता  चला की इतना खर्च हुआ इसका मतलब हुआ की दिलखोल के पैसा लुटाओ वैसे भी जनता का पैसा है हमारे बाप का क्या जाता है | येही सोच रहती होगी नेताओ की तभी अनाप सनाप पैसा उड़ाते है उसका कोई हिसाब भी नहीं देना पारदता है उन्हें |

अगर कोई ज्यादा बोलेगा तो जांच बैठाई जायेगी जिसका कोई निस्कर्ष तो सायद ही कभी निकला हो | और जब तक रिपोर्ट आती है तब तक तो सारे मजे वोह व्यक्ति ले हो चुका होता है | क्योकि देश की नेताओ की सोच भी सिमित हो गयी है उन्हें पता है की कब क्या करना है और कब क्या कहना है | पुलिस की स्थिति  तो न के बराबर ही समझो क्यो९कि जब उन्हें मौका मिलता है तो वोह भी एक आम आदमी को बहुत पेरशान करते है इसमें कोई दो राये नहीं है | अगर कोई नेता का परचित हुआ तो बच जाता है वरना तो नाप ही दिया जाता है  कहे उसकी गलती हो या न हो |

एक आदमी ने जरा सी अपनी गाडी बधाई तो त्रफ्फिक पोलिसेवाले ने तुरंत उसका चलन कर दिया और वही बिना हरे  सिग्नल के ही एक नेता बेटा  गाड़ी निकल देता है तो उसे कोई कुछ नहीं कहता है |

रोड को ले लीजिये  रोड पास करवाने के लिए अगर आप नेता जी के पास अकेले चले गए तो आप की कोई वैल्यू ही नहीं है और आप उनसे मिल तो लेंगे  पर वोह आपकी सिकायत दर्ज नहीं करेंगे क्योकि उन्हें लगेगा की अकेला आदमी क्या इसके वोट देने न देने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा | वोही जब हुज़ूम का हुज़ूम आता है तो उनकी पूरी बात सुनी जाती है और तो और चाय नास्ता भी कराया जाता है | मैंने तो बहुत सी पार्टी के नेताओ से मुलाकात की है पर १ -२ ही  ढंग का बन्दे दिखे की उनमे कुछ कर गुजरने की ख्वासिश है | पर सायद इस देश की जनता भी उन्ही हरामखोर लोगो को पसंद करती आयी है और देश में बदलाओ ही नहीं लाना चाहती है | पर मौका सबको देना चाहिए सायद कोई नेता हमारे देश को उन उचाइयो तक फिर से पंहुचा दे जैसे की हमारे कुछ भुत्वूर्वे नेताओ ने करने की कोशिश की थी |

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