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हर हर महा देव काशी विश्वनाथ शम्भु…..नए साल कि शुरुआत बाबा विश्वनाथ के वरदहस्त के साथ …

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काशी नगरी जो देश कि शान मान और आन है | और जहा मरने पर मनुस्य तर जाता है | एक बार तो काशी जाना ही चाहिए | विश्वनाथ  के दर्शन से सारे कस्तो का अंत हो जाता है और इंसान का जीवन सुधर जाता है | इंसान को मुक्ति भी यही मिलती है क्योकि यह छेत्र बाबा विश्वनाथ का बसाया हुआ है और पांच कोष में बसा हुआ यह तीर्थस्थल बाबा को अति प्रिय है | यहाँ स्वयं बाबा और माँ विराजते है | कहते है कि काशी के कण कण में बाबा बस्ते है | वह जो एक रात बिता ले समझो जीवन से मुक्त हो गया | जो लोग वह रहते है उनके बारे में  तो कहना ही क्या ? वोह जन्म जन्मांतर के सभी पापो को मिटा लेते है और तो और अपने पूरी पीढ़ियो को उबार लेते है |
वैसे भी कहा गया है काशी में मरने से इंसान मुक्त हो जाता है इस नश्वर संसार से | यहाँ बाब विश्वनाथ के मंदिर कि सोभा का वर्णन करने में तो मुझे वर्शो बीत जायेंगे | काशी उत्तर प्रदेश का सर्व मानननीय छेत्र है |
इस छेत्र का महात्म वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्दो कमी है | यहाँ पे आने से अलग  सा आनंद होता है | मन में शांति और एक नयी उमंग का संचार होता है | यहाँ कि गंगा आरती के कहने ही क्या है वोह विहंगम दृस्य कि आत्मा भाव विभोर हो उठे | यह नज़ारा तो ऐसा है कि उसका आँखों देखा वर्णन करना मेरे बस कि तो बात नहीं है क्योकि वोह सब का सब मेरी नज़रो में कैद है और उसके बारे में सोचते ही मेरा अंग अंग रोमांचित हो उठता है | माँ अन्नपूर्णा  का मंदिर , संकटमोचन हनुमान मंदिर, बाबा के दरबार कि सोभा ही निराली है | बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए ट्रेन, बस और ऐरोप्लेन  कि व्यवस्था है | काशी या वाराणसी यह एक ऐसा पवित्र छेत्र है जहा एक बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से इंसान अपने आप को धन्य बना लेता है | विश्वनाथ सवयं अपने भक्तो का ख्याल रखते है | और बाबा के भक्त हमेशा मस्त और जिंदादिल होते है | क्योकि हमारे बाबा ही जब मस्त मलंग है तो हम भी उनकी भक्ति में खो जाते है | हर हर महा देव के नारे लगाते हुए कावरिये बाबा पे जल चढ़ाते है | गंगा स्नान के पश्चात बाबा को गंगा जल चढ़ाया  जाता है  जो बाबा को बहुत ही प्रिय लगता है | बस इंसान को घमंड नहीं दिखाना चाहिए बाबा के दरबार में क्योकि बाबा को मेरे बस श्रद्धा और प्यार के भुखे है | तभी तो कहा है भी गया है –
जल के चढ़ाये यमलोक  से उबार देत है,
चन्दन के चढ़ाये चक्रवर्ती कर देत है,
चावल के चढ़ाये चौदहो लोक दै देत है,
दीप के दिखाए दीप सातो दै देत है,
भंग और धतूर के चढ़ाये सुरपुर दै देत है,
बिल्वपत्र के चढ़ाये सदा संग लै लेत है,
हर हर कहे से हरत  है क्लेश सब ,
और गाल के बजाये से निहाल कर देत है ||
हर हर महा देव
जय हो काशी विश्वनाथ शम्भु

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