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आर्थराइटिस जैसी बिमारी को सामान्यत: बुज़ुर्गों की बिमारी माना जाता था, लेकिन आज इस बिमारी की संख्या बच्चों में भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। यह विकार जोड़ों और मांस पेशियों को प्रभावित करता है।
दर्द वह लक्षण है, जो शरीर में किसी समस्या के होने की पुष्टि करता है। ऐसे में मरीज़ के पैरों में और हड्डियों के जोड़ों में तेज़ दर्द होता है जिससे चलने−फिरने में भी तकलीफ हो सकती है। कुछ प्रकार के आर्थराइटिस में शरीर के विभिन्न अंग भी प्रभावित होते हैं, ऐसे में दर्द के साथ दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। इस बिमारी के सामान्य लक्षण हैं: जोड़ों में दर्द, सूजन और जोड़ों को मोड़ने में असमर्थता होना।
आर्थराइटिस से बचाव:
आर्थराइटिस व्यक्ति के जोड़ों, आंतरिक अंग और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। यह बिमारी आजीवन रहने वाली है, लेकिन अपने शरीर में कुछ बदलाव लाकर आप आर्थराइटिस के तीव्र दर्द को कम कर सकते हैं:
• अपना वजन कम रखें क्योंकि ज्यादा वज़न से आपके घुटने तथा कूल्हों पर दबाव पड़ता है।
• कसरत तथा जोड़ों को हिलाने से भी आपको मदद मिलेगी। जोड़ों को हिलाने में आप डाक्टर या नर्स भी आपकी मदद कर सकते हैं।
• समय−समय पर अपनी दवा लेते रहें। इनसे दर्द और अकड़न में राहत मिलेगी।
• सुबह गरम पानी से नहाएं।
• डाक्टर से समय−समय पर मिलते रहें।
आर्थोनोवा अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डाक्टर धनन्जय गुप्ता के अनुसार आर्थराइटिस के मरीज़ को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए। प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करना चाहिए लेकिन दर्द के समय व्यायाम बिलकुल नहीं करना चाहिए।
आर्थराइटिस से बचने का सबसे आसान उपाय है, दर्द को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास करना। दर्द को नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। तेज़ दर्द होने पर चिकित्सक की सलाह अनुसार दवा लें।
ध्यान देने योग्य बातें:
• खाना खाने से पहले हाथ ज़रूर धोयें।
• पानी उबाल कर ही पीयें।
• खान–पान का विशेष ख्या़ल रखें।
सिर्फ थोड़ी सी सावधानी और आपका स्वास्य्ष होगा आपकी मुट्ठी में।
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