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चिकनगुनिया वायरस डेंगू और मलेरिया की भांति घातक नहीं है, लेकिन इसका सही समय पर पता नहीं लगाया जाए तो यह घातक हो सकता है। देखना होगा कि चिकनगुनिया वायरस मानव जाति के लिए कितना घातक हो सकता है।
जब कोई चिकनगुनिया संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो बीमारी के वायरस ‘रेब्डो’ व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट हो जाते हैं।- ‘रेब्डो’ वायरस शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ाते हैं। धीरे-धीरे संख्या काफी बढ़ जाती है। ये वायरस रक्त के जरिये शरीर में फैल जाते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। एक से बारह दिन के अंदर वायरस सक्रिय हो जाता है।
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