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आज पथरी जैसी समस्या अधिक उम्र वालों में ही नहीं, बल्कि बच्चों में भी होने लगी है। ये बात सुनने में शायद अजीब लगे पर बच्चों में पथरी होना कोई चौकाने वाली बात नहीं। पथरी किसी भी उम्र में हो सकती है।
पथरी के कारण बच्चों में दर्द की शिकायत हो सकती है, यूरिन के प्रवाह में किसी प्रकार की रूकावट आ सकती है और अगर इसका इलाज समय पर नहीं हुआ तो यह दीर्घकालिक गुर्दे की समस्याओं का कारण भी बन सकती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी के अधिक केसेज़ पाये गये हैं, जबकी वयस्कों में गुर्दों की पथरी के अधिक केसेज़ पाये गये हैं।
गुर्दे में पथरी के लक्षण :
• पेट या पीठ में दर्द
• यूरिन में रक्त
• यूरिन बार-बार आना
हालाकि कई बच्चों में ये लक्षण नहीं भी दिखते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड की मदद से पथरी का पता लगाया जा सकता है। ऐसा भी देखा गया है, कि गुर्दे में पथरी के लक्षण ब्लैडर इन्फेक्शन जैसे ही होते हैं, इसलिये अपने डाक्टर की सलह पर चलें और कुछ जांच द्वारा इन लक्षणों के कारणों का पता लगायें।
गुर्दे में पथरी के मुख्य कारण:
बच्चो में गुर्दे की पथरी के विकास के कई कारण हो सकते हैं जैसे-
• अनुवांशिक कारण: अगर किसी बच्चे को अपने जीवनकाल में पहले कभी पथरी की परेशानी रही है तो ऐसे में पथरी के पुन: विकास की संभावना अधिक रहती है। हालांकि कुछ सावधानियां बरतकर इन जटिलताओं से बचा जा सकता है।
• पर्याप्त पानी न पीना: बच्चे के पानी पीने की मात्रा सीधे यूरिन की मात्रा को प्रभावित करती है। कम पानी पीने का मतलब है कि किडनियाँ कम यूरिन बनाएंगी, जो कि पथरी के विकसित होने का प्रमुख कारण होता है। अधिक मात्रा में पानी का सेवन किडनी में जमा पथरियों को निकालने में मदद करता है।
• कीटोजेनिक आहार: वो आहार जिस में कार्बोहाइड्रेट्स कम मात्रा में हों, उसे कीटोजेनिक आहार कहते हैं, जो कि गुर्दे में पथरी का एक मुख्य कारण है।
• यूरिनरी ट्रैक एबनार्मेलिटी: जन्म से ही गुर्दे, ब्लैडर या यूरेटर्स में असमानताएँ गुर्दे में पथरी के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
जिन बच्चों में गुर्दे की पथरी की शिकायत रहती है, उनमें भविष्य में भी पथरी हो सकती है। लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इससे बचा जा सकता है। जैसे समय-समय पर रक्त और यूरिन की जांच कराते रहें, ज़्यादा से ज़्यादा पेय का सेवन करें और अपने डाक्टर की सलह पर चलें।
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