गर्भावस्था के दौरान आपके स्वास्थ्य का प्रभाव आपके होने वाले शिशु पर भी पड़ता है। ऐसे में आपको अपने स्वास्थ्य का खास रखने की आवश्यकता होती है। आहार से व्यायाम तक दोनों ही आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। समय समय पर चिकित्सक से सम्पर्क करते रहें और सावधानी बरतें।
ऐसी जटिलताओं के बारे में जानकारी रखें, जो सामान्यत: गर्भावस्था में होती हैं। गर्भावधि मधुमेह भी ऐसी ही एक समस्या है जिसे कि जेस्टेशनल डायबिटीज़ भी कहते हैं।
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण
गर्भावधि मधुमेह में गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक प्यास और भूख लगती है।
उनके रक्त में शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है और कुछ महिलाओं में तो यह लक्षण पहचानने योग्य भी नहीं होते।
कैसे बचें गर्भावधि मधुमेह से
गर्भावस्था से पहले अपने वजन को सावधानी से नियंत्रण कर आप इस जोखिम को कम कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान बहुत ही कम कैलोरी का भोजन करना चाहिए क्योंकि पर्याप्त पोषण भी ज़रूरी है ।
यदि आप नियमित व्यायाम करते हैं, खाने के सही पैटर्न और इंसुलिन की खुराक का इस्तेमाल करते हैं, तो आप अपने ब्लड शुगर का सही स्तर बनाये रख सकते हैं।
डॉक्टर आपको दैनिक भोजन रिकार्ड और घर में जांच कर शुगर स्तर बनाये रखने की सलाह देगा।
घर में ग्लूकोज़ मीटर से शुगर के स्तर कि जांच की जा सकती है। ग्लूकोज़मीटर का उपयोग करना आपको डाक्टर ही बतायेगा।
गर्भावधि मधुमेह का प्रभाव नवजात शिशु पर भी पड़ सकता है और बच्चे को हॉयपोग्लायसिमिया या पीलिया भी हो सकता है । लेकिन समय पर चिकित्सा से इन सभी समस्याओं का प्रबंधन किया जा सकता है।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments