Menu
blogid : 21389 postid : 1137090

आखिर ऐसा क्यों ?

Meri Baat
Meri Baat
  • 6 Posts
  • 4 Comments
सालों पहले एक उभरते हुए निर्देशक ने अपनी फिल्म का प्रचार करते हुए वेटरन फिल्मकार महेश भट्ट का नाम न लेते हुए बयान दिया था कि हम युवाओं के लिए फिल्में बना रहे है तो हम पर अश्लीलता का आरोप लग रहा है और वो जब (मर्डर) फ़िल्में बनाते हैं तो कोई ये प्रयोग कहलाता है | आखिर ऐसा क्यों??

आज यह बात इसलिए याद आ गई क्यूंकि अभी भी हालात ऐसे ही है | मैं इसी विषय को हिंदी मीडिया और अंग्रेजी मीडिया के बारे में मोड़ना चाहता हूँ |

आज बाज़ार के स्टालों पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में अनेको पत्रिकाएँ मौजूद हैं | हर पत्रिका का अपना पाठक वर्ग भी है | लगभग हर पत्रिका में विषय एक जैसे ही होते हैं | लेकिन स्टोरी को अपने अपने तरीके से चित्रित किया हुआ होता हैं |

आप कोई भी अंग्रेजी की पत्रिका उठा कर देख लें तो उसमें बोल्ड होने के नाम पर नग्नता का भरपूर भण्डार मिल जाएगा | एडल्ट विषयवस्तु की पूरी भरमार भी होती हैं | इस तरह के पत्रिका को देखना और पढना आपके आधुनिक बनने का सर्टिफिकेट जैसा हो जाता है | लेकिन यहीं बोल्डनेस अगर हिंदी पत्रिका में हो तो अश्लीलता का लेबल बन जाती है | आप हिंदी पत्रिका को पढने से सस्ता और सड़कछाप साहित्य पढने वाले कहलाये जाते हैं |

आखिर ऐसा भेदभाव क्यों ?
जब इस बात का उत्त्तर स्वयंभू विद्वानों से जानने का प्रयास किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया | इसलिए आज ये सवाल अपने पाठकों से पूछना चाहता हूँ | आशा हैं जल्दी ही मुझे इसका जवाब मिलेगा |
Tags:               

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh