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उसे दिल्ली आए हुए लगभग 6 महीने पूरे हो गए थे। इसी दौरान दूसरी कंपनी से ऑफर मिला तो ज्यादा नहीं सोचा और वो पहुंच गया नोएडा। नया ऑफिस अच्छा था, अधिकतर लोग भी अच्छे थे। ऐसा लगा अपने परिवार के बीच आ गया हूं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो शायद अपनी ही धुन के आदमी थे। लेकिन किसी भी तरह की पॉलिटिक्स से बचते हुए उसने काम शुरू कर दिया। कुछ दिन बीते ही थे कि इस ऑफिस के काम से उसका मन ऊबने लगा और पुराने ऑफिस की याद आने लगी। लेकिन किसी तरह से उसने अपने मन को समझाते हुए अपना काम रेगुलर चालू रखा।
दिल जवां था तो ऑफिस में साथ में काम करती हुई कुछ परियां भी अच्छी लगने लगी, लेकिन उनसे बात कैसे हो? कोई गलत न समझे? कोई क्या कहेगा? लेकिन 15 दिन बाद उसने महसूस किया कि एक लड़की(नाम अभी पता नहीं चला) उसे नजर बचाकर देखती है। अब ये कोई वहां भी हो सकता है। यह सोचकर उसने अपना काम ही करने की ओर ही मन लगाए रखा। लेकिन दिल अकेला हो तो दिमाग की नहीं चलती और कुछ न कुछ तरकीबें लगाना शुरू कर ही देता है।
शेष अगली बार…
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