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पठानकोट हमले से सबक लेने के बजाय हम डिप्लोमेसी में लगे रहे. उनकी जांच टीम को बुला कर एयरबेस का मुआयना करवाया वगेरा-वगेरा पर कोई फायदा नहीं.हुआ. कुत्ते की दुम वैसी की वैसी . ये कभी सीधी हो ही नहीं सकती जब तक दुम को काट कर नहीं फेंक दिया जाय .17 सैनिकों को शहीद होना पड़ा. सोचिये तो कितने दुर्भाग्य की बात है. दुर्भाग्य से भी कहीं ज्यादा शर्म की बात है.जो देश विश्व की महाशक्ति बनने के सपने देखता है वही एक शैतान पडोसी देश की नापाक हरकतों को रोकने में असमर्थ है. कैसी विडम्बना है ये. याद कीजिये इन्ही श्रीमान मोदीजी ने कहा था अगर वे एक जवान का सर काट कर भेजेंगें तो जवाब में उनके दस सिपाहियों का सर काटेंगें. कहाँ गयी वो 56 इंच की छाती, मोदीजी ? वहाँ कश्मीर में पाकिस्तान ने नाक में दम कर रखा है .कश्मीर में 62 दंगाई मारे गए जो कि ठीक था क्योंकि वे सभी कश्मीरी नौजवान, पाकिस्तान की शह पर (एक खतरनाक आतंकवादी को सेना द्वारा मार दिए जाने पर) आये दिन सैनिकों पर पत्थरबाज़ी कर रहे थे . यह सिलसिला पिछले 70 दिनों से आज तक जारी है और सभी जानते हैं कि यह काम पाकिस्तान इन पत्थरबाजों को पैसे दे कर करवा रहा है. इन सबके बावज़ूद मोदीजी नवम्बर में इस्लामाबाद जाने की तयारी में लगे हुए हैं. क्या १७ नौजवानों की नृशंस हत्या काफी नहीं है इस दौरे को रद्द करने के लिए ? क्या बात करेंगे वहाँ मोदीजी वहाँ और किस से बात करेंगें ?. नवाब शरीफ से? पर वो तो नाम मात्रा का प्रधान मंत्री है. असली सत्ता तो मिलिट्री के हाथ में है और मियां शरीफ उन जनरलों का तलवा चाटते हैं जो पूरा प्लान बना कर इन आतंकवादियों को हमलों के लिए मुस्तैद कर भारत भेजते हैं . खैर शरीफ जो करें सो करें पर हमें इन आतंकवादी हमलों का मुँहतोड़ जवाब देना होगा. और कोई चारा नहीं बचा है अब हमारे पास..
परंतु फिलहाल तो यही लग रहा है कि ना हम और ना तो पाकिस्तान, दोनों ही नहीं सुधरेगें
-ओपीपारीक43 oppareek43
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