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कश्मीर में जो हिंसा का दौर पिछले दो महीनों से चल रहा है वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की कोशिश भी एक तरह से बिलकुल नाकाम रही. हुर्रियत के रुख में कोई बदलाव नहीं, बल्कि कट्टरपंथी/पाकिस्तानी एजेंट गिलानी अब हुर्रियत के सबसे ताकतवर नेता बन गए. उधर शैतान आतंकवादी हिज़्बुल मुजाहिदीन के सैयद सलाहुद्दीन ने कश्मीर को भारतीय फौजों का कब्रगाह बनाने की धमकी दी है. ज़ाहिर है जो कुछ हुआ और हो रहा है वो सब दुश्मन देश पाकिस्तान की शाह पर ही हो रहा है परंतु चिंता का विषय है की अब उग्रवाद की अगुवा कश्मीर के नौजवान और महिलायें कर रही हैं. इसे रोकना होगा वरना इसका बहुत बड़ा मूल्य चुकाना पड़़ सकता है. फ़र्ज़ कीजिये की पत्थरों और हथगोलों को जवाब बदस्तूर गोलियों से दिया जाता रहेगा तो आखिर आप कितने लोगों को मारेंगें. सच है की पत्थर चलने वाले पथभ्रष्ट हो चुके हैं क्योंकि पाकिस्तान उन्हें बढ़ावा ही नहीं बल्कि पैसे भी दे रहा है. ऐसे में आप पूछेगें की फिर इस समस्या का हल क्या है..
मेरी व्यक्तिगत राय यही होगी की इसका एकमात्र हल राजनीतिक है.. यह कहना कि विकास या रोज़गार कि कमी कि वजह से समस्या ने इतना गंभीर रूप ले लिया, एक ग़लतफ़हमी होगी. कोई नहीं कहेगा पर मैं कहना चाहता हूँ कि पाकिस्तान को लूप में लिए बिना इस का कोई हल नज़र नहीं आता. पाकिस्तान चाहे कितना भी गलत हो पर कश्मीर में सारी खुराफातों की जड़ में यही देश है और आज उसने वह हालात पैदा कर दिए हैं जबकि वहाँ के नौजवान भारत से ज्यादा पाकिस्तान को तरज़ीह दे रहे हैं. खुले आम “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगाए जाते हैं. लोग पाकिस्तान का झंडा ले कर रैलियां करते हैं. भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देते है.. याने घाटी में आज पाकिस्तान का ही बोलबाला है.
इन हालात में आप वार्ता के सन्दर्भ में पाकिस्तान को कैसे नकार सकते हैं. ऐसा करना बेवकूफी होगी.
कुछ लोगों का एक आक्रामक सोच ये भी है कि भारत को सीमा पार कर पाकिस्तान द्वारा चलाये जाने वाले आतंकवादी केम्पों पर हमला कर उन्हें नष्ट करना चाहिए. परंतु जब आप ऐसा करते हैं तो ये लड़ाई सिर्फ केम्पों तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि एक सम्पूर्ण भारत-पाक युद्ध में तब्दील हो जाएगी. अब चलिए लड़ाइयां तो कुल मिला कर तीन जंग इन दोनों देशों के बीच हुयी और इनमें हमेशा पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी परंतु आज की बात और है. आज उस मुल्क के पास आणविक हथियार है. जिनकी संख्या भारत से भी ज्यादा है. ये कुछ ऐसा ही बात है जैसे की बन्दर के हाथ में तलवार. सभी जानते हैं कि फौजी जनरल ही उस देश का राज चला रहे हैं, चुनी हुयी सरकार को तो वे कठपुतली मानते हैं. वे इतने मूर्ख और मदांध फौजी हैं की क्या कर बैठें, इसका कोई भरोसा नहीं. खुदा न खास्ता अगर एक भी एटम बम भारत पर गिरा दिया तो प्रतिक्रिया में भयावह नतीजे होंगे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती याने तीसरा विश्व युद्ध तक छिड़ सकता है. इस प्रकार यह भी कोई विकल्प नहीं है.
एक ही रास्ता है – पाकिस्तान के साथ वार्तालाप ज़ारी रख कर इस समस्या का कोई हल खोजा जाए. . इसके अलावा अगर किसी भाई के पास अन्य कोई विकल्प हो तो कृपा कर इस ब्लॉग की प्रतिक्रया स्वरूप बताने का कष्ट करे..”.
– ओपीपारीक43 oppareek43
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