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42 साल से लोकपाल बिल संसद का पांवपोंछ बन रगड़ खा-खा कर मिटटी बन चूका था और जनता के विश्वास के साथ जनता के ही नुमाइन्दों ने इतने लम्बे अरसे तक यह खिलवाड़ जारी रखा और जब किसी ने इसे चुनौती दी तो कुछ लोग इसे ब्लेकमेल बताने लगे. जरा सोचिये – कितनी बड़ी विडम्बना है यह इस देश की.
मैं मीडिया से भी यह पूछना चाहता हूँ कि ऐसा वक्तव्य देने वाली एक अभिनेत्री के स्टेटमेंट को इतना महत्व देने की भला क्या जरूरत थी कि जागरण जैसे सुप्रतिष्ठित अखबार के लोग उनके वक्तव्य को एक आम बहस का मुद्दा बनाये.
खैर जहाँ तक ब्लेकमेल का सवाल है यह तथाकथित ‘ब्लेकमेल’ अन्ना हजारे की अनशन कतई नहीं बल्कि 42 सालों से चली आ रही सरकारी ब्लेकमेल है. और जनाब इसे आप ब्लेकमेल कहते हैं तो गांधीजी के सारे सत्याग्रह आन्दोलन भी ब्लेकमेल थे; किसकी सरकार थी इस से क्या फर्क पड़ता है, शर्मीला के तर्क से तो वो सब ब्लेक मेल था. जय प्रकाश नारायणजी का सविनय अवज्ञा का नारा भी इंदिराजी की सरकार के लिए ब्लेकमेल था और तो और उन सभी सक्रीय लोगों का कोई भी अनशन या आन्दोलन ब्लेकमेल माना जाये जो उन्होंने सरकारी ज्यादतियों के खिलाफ छेड़ा हो. इस देश में बिनायक सेन जैसे लोग तीन दिन में सीकचों के अन्दर भेजे जाते हैं और कलमाड़ी जैसे लोगों को गिरफ्तार करने में पूरा साल भर लग जाता है तो शर्मिलाजी की मेहरबानी से हम सभी को नक्सलियों की ब्लेकमेल झेलनी भी गवारा होनी चाहिए, अगर आप हमारे इस व्यंग्य को सही से समझ पा रही हैं तो.
शर्मिलाजी!! आप नवाबी खानदान की बेगम हैं; अल्ला-ताला की मेहरबानी से शौहर और बच्चे भी माशा अल्ला मौज में है. दौलत में डूबे हैं, ऐश करते हैं. वैसे भी सेलेब्रिटीज का काम भ्रष्ट अफसर भी आसानी से कर देते हैं सो आपको भला आम आदमीं की भ्रष्टाचार-जनित तकलीफों का क्या पता. तभी तो हजारेजी ने कहा की अगर यह ब्लेकमेल है तो मैं ऐसा ब्लेकमेल हजार बार करूँगा.
ओपीपारीक 43 oppareek43
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