- 274 Posts
- 1091 Comments
चौंकिए मत. संघ बिरादरी राहुल गांधी के लिए जो जूमला इस्तेमाल करती है, वो है “पप्पू”. यह शब्द बतौर व्यंग्य नहीं बल्कि ‘अपमान’ के तौर पर तमाम सोशल मीडिया में उनके कार्टूनों और जोक्स आदि में प्रयुक्त होता है. खैर यह तो आज के हमारे सामाजिक व राजनैतिक परिदृश्य की त्राश्दी बन चुकी है जहां मर्यादा नाम की चीज़ समाप्त प्राय है. गाली-गलौज की भाषा कभी-कभी हमारे सांसद भी लोकतंत्र के मंदिर (संसद ) में इस्तेमाल करते हैं .परन्तु जहां तक राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कहने का सवाल है इसके लिए वे स्वयं कुछ हद तक जिम्मेदार हैं. जनसभाओं में और कई दफे संसद में भी भाषण करते हुए कुछ भी बोल देंगें और बाद में उपहास के पात्र बन जाते हैं.. जाहिर है कि विरोधी तो मौके कि तलाश में रहते हैं, बस मौका मिलना चाहिए और टूट पड़ेंगें.
ऐसा मौका अक्सर खुद श्री गांधी ने अपने विरोधियों को दिया. कई बार तो तथ्यों के हिसाब से भी गलतबयानी कर बैठते हैं . चाहे 44 सीटें ही क्यों न हों लोकसभा में, पर आख़िरकार तो कांगेस सबसे बड़ी विरोधी पार्टी है और इस प्रमुख विरोधी पार्टी का नेता आदर का पात्र होता है. पर जैसा कि समझदार लोग कहते हैं आदर अपनेआप नहीं मिलता बल्कि उन खूबियों से मिलता है जिस को कोई नकार नहीं सकता. अतीत में लोहियाजी और दण्डवतेजी जैसे विरोधी पक्ष के ऐसे नेता थे जिनके खड़े होते ही पुरे हाउस में निस्तब्धता छा जाती थी याने लोग मौन रह कर उनका एक-एक शब्द सुनने को लालायित रहते थे जबकि आज जब राहुलजी बोलते हैं तो बार-बार शोर, टोका-टोकी चलती रहती है पर इस बार तो कमाल हो गया .. आज से दो दिन पहले जब राहुलजी संसद में बोलने को खड़े हुए तब उनके विरोधियों ने सोचा भी नहीं होगा कि वे एक अच्छा व बुद्धिमत्तापूर्ण वक्तव्य देंगें पर उनके बोलने के बाद सभी को समझ में आया कि राहुलजी अब ‘पप्पू’ नहीं बल्कि परिपक्व नेता होते जा रहे हैं. उनके भाषण एक ख़ास बात ये भी थी कि उसमें अच्छा-ख़ासा विनोदप्रियता (humour ) का पुट भरा हुआ था. मसलन उन्होंने जिस प्रकार “फेयर एंड लवली” मिथ का प्रभावशाली प्रयोग कर सत्ताधारी पार्टी पर व्यंग्य कसे वो सब काबिले-तारीफ़ रहा. एक बात और इस भाषण के दौरान उन्होंने ने स्वयं पर भी विनोद ( humour ) कसा. एक जगह उन्होंने कहा कि “भैया मैं RSS नहीं हूँ, लिहाजा गलतियां भी करता हूँ “
बहरहाल, कांग्रेस के लिए, यह एक शुभ संकेत है कि राहुल गांधी एक सधे हुए विरोधी नेता की भूमिका निभाते नज़र आ रहे हैं जो हर लिहाज़ से देशहित में है. अनेक लोग जो मेरे ब्लॉग को पढ़ते हैं अक्सर यह समझने की भूल करते हैं कि मैं कांग्रेस या उसकी नीतियों का समर्थक हूँ. राहुलजी के विषय में यह लेख पढ़ कर भी शायद उनकी इस धारणा को मज़बूती मिले सो ऐसे सभी महानुभावों से दरयाफ्त करता हूँ कि यह सरासर गलत है क्योंकि मैं किसी पार्टी विशेष से ना तो जुड़ा हूँ और ना ही किसी तरह कि आइडियोलॉजी में विश्वास रखता हूँ परन्तु यह जरूर कहूँगा कि जिस प्रकार की छीछालेदारी हमारे नेता एकदूसरे पर कीचड उछालने में करते हैं वो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं. कोई परिवारवाद से आये या किसी अन्य कारण से चुन के आये वह अपनी constituency का प्रतिनिधि है अर्थात बतौर एक जन-प्रतिनिधि वह शख्स आदरणीय है.. हमें आदर देना सीखना चाहिए. “पप्पू” कह कर किसी जन प्रतिनिधि का मज़ाक उड़ाना न सिर्फ उसका अपमान है बल्कि उस क्षेत्र की जनता का भी अपमान है जहां से वह चुन कर आया है . इस लिहाज से देखें तो इस ब्लॉग का शीर्षक भी जरा अटपटा लग सकता है पर इसे भी आप ‘मेरी’ विनोदप्रियता (humour ) मान सकते हैं क्योंकि संसद में देश की प्रमुख विरोधी पार्टी का नेता होने के नाते मैं श्री राहुल गांधी की भी उतनी ही इज़्ज़त करता हूँ जितनी कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी की.. . ..
-ओपीपारीक43 oppareek43
Read Comments