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इस ब्लाग के पार्ट-1 में मैंने आपको उस सरकारी साजिस की आरंभिक जानकारी दी थी (पढ़िए part -1 ) जिस के तहत सरकार एक वोलंटरी डिस्क्लोजर योजना ला रही है ताकि विदेशों में काला धन जमा करने वालों को यह धन वापस लाने पर राहत मिल सके. इसके कुछ बिंदु इस प्रकार है.:-
1 . यह एक तरह की सिन्धुपार (offshore ) स्वैछिच्क परिपालन स्कीम है जिसके अंतर्गत सर्कार विदेशों में काला धन जमा कराने वालों को टेक्स की राहत देना चाहती है , जिसके लिए सरकार का तर्क ये है की इस प्रकार देश का काला धन तो वापस आएगा ही और सरकार को उस पर योजना की दर के हिसाब से टेक्स प्राप्त होगा. इसके मायने है की धन तो जमा कर्ता को वापस मिल जायेगा और उसे सिर्फ एक रियायती दर पर टेक्स भरना होगा.
२. इसकी दूसरी ख़ास बात ये होगी कि इन डिक्लेयर करने वालों को कानुनी छूट (legal amnesty ) मिल जाएगी और वे निडर हो कर पैसे देश में ला सकेंगे.
३. तीसरी बात है कि सरकार इनके नामों कि गोपनीयता बरकरार रखेगी याने जिसने ये पैसा जमा कराया उसका नाम गुप्त रखा जायेगा.
अब सवाल उठता है क्या ऐसा करना उचित होगा जब कि अब तक इस तरह कि पांच देशी स्कीमं फेल हो चुकी है. इसके अलावा ये समस्या सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूरोप एवं अन्य अनेकों देशों में है. इन देशों में से अभी तक किसी भी देश ने ऐसी योजना का एलान नहीं किया है बल्कि अमेरिका ने तो सख्ती के साथ कार्रवाई कर एक महीने के अन्दर अन्दर स्विस बैंकों को नाम जाहिर करने पर विवश कर दिया और वो इसमें सफल रहा है.
मैं ऐसी स्कीम को अनैतिक मानता हूँ परन्तु इस पर मतवैभिन्य हो सकता है अतएव सुधि पाठकों से निवेदन है कि वे भी अपने मूल्यवान विचार रखें चाहे वो मेरे उपरोक्त विचारों से मेल खाते हों या ना मेल खाते हों .
अगली कड़ी में इस सम्बन्ध में आगे कि जानकारी का इंतज़ार करिए, जय हिंद.
ओपीपारीक43 oppareek43
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