‘एक युवती जो किसी व्यक्ति के हाथों शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती है। उसके अनगिनत एहसासों और अंत में उस यातना से निकलने के फैसले की दिलचस्प कहानी ‘मिल्कमैन’ के लिए आयरलैंड की लेखिका एना बर्न्स को ‘मैन बुकर अवॉर्ड-2018’ से सम्मानित किया गया है’।
क्या है मैन बुकर अवॉर्ड
मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन (Man Booker Prize for Fiction) जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, राष्ट्रकुल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है।
बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 60 हजार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है। इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
इन भारतीयों ने जीता है मैन बुकर अवॉर्ड
अनीता देसाई
अनीता देसाई को न सिर्फ एक बार बल्कि तीन बार बुकर्स पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। पहली बार 1980 में विभाजन के बाद उनके उपन्यास ‘क्लीयर लाइट ऑफ डे’ के लिए चुना गया। 1984 में “इन कस्टडी” के लिए जिस पर 1993 में एक फिल्म भी बनी थी।
सलमान रश्दी
विवादास्पद जादुई यथार्थवादी सलमान रश्दी ने न केवल चार बार बुकर के लिए चुने गए हैं बल्कि उन्होंने ‘बुकर ऑफ बुकर्स’ और ’द बेस्ट ऑफ द बुकर’ भी जीता है।वह उपन्यास 1981 में जिसके लिए उन्हें उनका पहला बुकर पुरस्कार मिला वह ‘मिड नाईट चिल्ड्रन’ था। ‘शेम’ (1983), ‘द सैटेनिक वर्सेस’(1988) और ‘द मूर्स लास्ट साय’ (1995) अन्य उपन्यास थे जिन के कारण वि इस लिस्ट में शामिल हुए थे।
अरुंधती रॉय
अरुंधती रॉय इस राजनीतिक कार्यकर्ता ने अपने पहले उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए 1997 में बुकर्स पुरस्कार जीता। यह एक गैर प्रवासी भारतीय लेखक की सबसे अधिक बिकने वाली किताब थी। तब से उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जिसमें उनके राजनीतिक रुख और आलोचना पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उन्हें बुकर के अलावा अन्य कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिसमें 2006 में मिला हुआ साहित्य अकादमी पुरस्कार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
किरण देसाई
किरण देसाई ने अपने दूसरे और अंतिम उपन्यास ‘द इन्हेरिटेंस ऑफ लॉस’ के लिए 2006 में बुकर्स पुरस्कार जीता। उनकी पहली पुस्तक ‘हुल्लाबलू इन द ग्वावा ऑर्चर्ड’ की आलोचना सलमान रश्दी जैसे लेखकों द्वारा की गई…Next
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