रेगिस्तान के जहाज के नाम से मशहूर ऊंटों के सम्मान में राजस्थान में हर साल अंतरराष्ट्रीय मेले का आयोजन किया जाता है। जनवरी में होने वाले इस ऊंट मेले में हैरतअंगेज कारनामे, पारंपरिक नृत्य और कला संस्कृति का अनोखा संगम देखने के लिए दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं। इस बार भी यह मेला शुरु हो चुका है।
ऊंट राजस्थान की शाही सवारी
मध्य भारत के महत्वपूर्ण राज्य राजस्थान में शाही सवारी के तौर पर पहचान रखने ऊंटों को बड़े सम्मान के साथ पाला जाता है। यहां की मिट्टी में ऊंटों के बलिदान की गाथाएं दर्ज हैं, जो आज भी बच्चों को बड़े गर्व से सुनाई जाती हैं। इन्हीं गाथाओं को याद रखने और ऊंटों को सम्मान देने के इरादे से हर साल ऊंट मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार भी 11 से 12 जनवरी को बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट मेले का आयोजन किया गया है।
ऊंट के हैरतअंगेज कारनामे
राजस्थान सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित होने वाले इस मेले का यह 27वां संस्करण है। मेले की खास बात यह है कि यहां आने वाले ऊंट और उनके मालिकों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। इस दौरान ऊंट कई तरह की हैरतअंगेज कलाबाजियां दिखाकर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर देते हैं। अलग अलग प्रतिस्पर्धाओं में विजेता रहने वाले ऊंट और उनके मालिकों को नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
जुटते हैं दुनियाभर के सैलानी
मेला विश्वभर के लिए पर्यटन का केंद्र बन चुका है। हर साल इस मेले में हिस्सा लेने के लिए देशभर के अलग अलग हिस्सों के अलावा दुनियाभर के कई देशों से सैलानी आते हैं। इस बार मेले में 10 प्रतियोगिताएं शामिल की गई हैं। इनमें ऊंट रेस, ऊंट सजावट और कलाकृतियां, ऊंट नृत्य, कुश्ती समेत अन्य कई प्रतिस्पर्धाएं मेले का अहम हिस्सा हैं। खास बात है कि राजस्थान इकलौता राज्य है जहां इतने प्रसिद्ध ऊंट मेलों का आयोजन होता है।
राज कुंवर राठौड़ ने शुरु कराई परंपरा
ऐसा कहा जाता है कि 1448 में बीकानेर रियासत के गठन के बाद मारवाड़ के राजा राव जोधा के बेटे राजकुंवर राठौड़ ने यहां की रेतीली, बंजर और सूखी भूमि पर ऊंटों को आसानी से जीवित देख उनकी असीम ताकत पहचानी और उन्हें अपनी सेना में शामिल किया था। ऊंटों के सेना शामिल होते ही रेतीली भूमि पर सफर आसान हो गया और राजकुंवर ने कई लड़ाइयां जीतीं। युद्ध क्षेत्र में ऊंट की हिम्मत और साहस को सम्मान देने के इरादे से ऊंट मेले का आयोजन शुरू कराया गया। खास बात है कि तब से लेकर अब तक ऊंट भारतीय सेना का अहम हिस्सा हैं। राजस्थान में पाकिस्तान से सटी सीमा पर ऊंट के जरिए नजर रखी जाती है। Next
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