हम असफल होने पर अकसर अपनी किसी कमजोरी को इतना बड़ा मान लेते हैं कि जिंदगी की छोटी सी मुश्किल भी बड़ी लगने लगती है। ज्यादातर लोग खुद को हारा हुआ मानकर निराशा के कुएं में डूब जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए नेत्रहीन पूर्णा सुंदरी आशा की वो किरण बनकर उभरी हैं जो उन्हें निराशा के कुएं से निकाल देंगी। आइये जाने हैं कौन हैं पूर्णा सुंदरी।
आंखों से देख नहीं पाती हैं पूर्णा सुंदरी
आखों से नहीं देख पाने वाली पूर्णा सुंदर ने हाल ही में सिविल सेवा परीक्षा यूपीएसी पास कर ली है। अब वह आईएस बन गई हैं। पूर्णा की सक्सेस स्टोरी निराश हुए लोगों के लिए रामबाण हो सकती है। पूर्णा ने यह परीक्षा तीन बार असफल होने के बाद चौथी बार में पास की है। उनका का प्रयास बताता है कि वह भले ही देख नहीं पाती हों लेकिन उनका दिल जगमगाती रोशनी ओर जज्बे से पूरी तरह लबरेज है।
यूपीएससी एग्जाम में 286वीं रैंक हासिल की
तमिलनाडु के मदुरै में रहने वाली 25 वर्षीय पूर्णा सुंदरी के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनकी मां गृहस्थी संभालती हैं। पूर्णा ने आंखों से नहीं देख पाने की कमी को अपनी ताकत बना लिया और यूपीएससी पास करने की ठान ली। जिसका नतीजा है कि उन्हें आल इंडिया 286वीं रैंक हासिल हुई है। उन्हें देशभर से बधाई संदेश पहुंच रहे हैं।
बचपन में ही सीख लिया था मुश्किलों से लड़ना
एएनआई से बात करते हुए पूर्णा सुंदरी ने कहा कि उनके स्कूल के दिनों से ही पिता ने यह बात दिमाग में डाल दी थी कि उन्हें आईएएस बनना है। पिता की बात को उन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया और तमाम विपरीत परिस्थितियों से हार मानने की बजाय उनका डटकर सामना किया।
नौकरी करते हुए पढ़ाई की और सपना पूरा किया
पूर्णा सुंदरी कहती हैं कि कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने बैंक में नौकरी हासिल करने के लिए एग्जाम दिया और उसे पास कर 2018 में बैक में क्लर्क बन गई। वह कहती हैं कि ‘काम के दौरान सुबह और शाम को मैं पढ़ा करती थी। मेंस और इंटरव्यू के दौरान मैंने बैंक से छुट्टी ली और अपनी पढ़ाई पर फोकस किया।’
कॉलेज के दिनों ने उनकी जिंदगी और नजरिया बदला
पूर्णा को तैयारी के समय कई महत्वपूर्ण किताबें आडियो फॉर्म में नहीं मिली थीं। जिसकी वजह से वह काफी चिंतित थीं। लेकिन, माता—पिता के सहयोग से वह इस बाधा को पार करने में कामयाब हो गई थीं। उन्होंने बताया कि चेन्नई में कॉलेज की पढ़ाई का समय उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण था। उनके प्रोफेसर्स ने उन्हें कभी कमजोर महसूस नहीं होने दिया।
आपकी इच्छा के आगे कोई भी बाधा नहीं बन सकता
एक इंटरव्यू में पूर्णा ने कहा कि अगर आप चाह लें तो किसी भी तरह की कमजोरी आपके लक्ष्य में बाधा नहीं बन सकती है। हार मानकर उदासी में जीने से बेहतर है कि फिर से प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि जब मैं यूपीएसी की परीक्षा में दो बार सफल नहीं हो सकी तो उस वक्त मैं भी निराश हो गई थी।
लगातार 3 बार असफल हुईं पर हार नहीं मानी
वह कहती हैं कि मैंने तीसरा प्रयास किया और इसमें भी असफल रही। लगातार मिल रही असफलता ने मेरे मनोबल को तोड़ दिया था। लेकिन, मेरे अंदर अब भी कहीं न कहीं लड़ने की इच्छाशक्ति थी। इस इच्छाशक्ति को घरवालों और दोस्तों का साथ मिल गया। इसके नतीजे में मैने तीन बार हार से सबक लेते चौथी बार परीक्षा दी और मैं इस बार सफल हो गई।…NEXT
Read more:
5 हजार साल पुराने दो बर्फ के पहाड़ गायब होने से खलबली, तलाश में जुटी वैज्ञानिकों की टीम
कैदियों को ड्रग्स सप्लाई करने वाली खतरनाक बिल्ली जेल से फरार
दुनिया के सबसे बहादुर चिंपैंजी ने ‘ग्रेजुएशन’ पूरा किया, अनोखी खूबी वाला इकलौता एनीमल
आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी पशु त्रासदी, एक साल के अंदर 300 करोड़ जानवरों की जिंदगी तबाह
इन क्यूट हरे सांपों को पकड़ना सबसे मुश्किल, बिना तकलीफ दिए डसने में माहिर
मधुमक्खियों में फैल रही महामारी, रिसर्च में खुलासा- खतरे में हैं दुनियाभर की मधुमक्खियां
Read Comments