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दशक के सबसे खराब दौर से गुजर रही इंडस्ट्री! मांग—बिक्री घटने से इस ताकतवर देश की हालत खराब

 

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan10 Jun, 2020

 

कोरोना महामारी ने आर्थिक मंदी का खतरा पहले से भी ज्यादा बढ़ा दिया है। मौजूदा हालात में दुनियाभर के उद्योग—धंधे बुरी तरह मंदी की चपेट में चल रहा हैं। विशेषाज्ञों ने इसे दशक का सबसे खराब दौर करार दिया है। ब्राजील में खरीद और बिक्री में जबरदस्त गिरावट से हालात बदतर हो गए हैं।

 

 

 

 

कोरोना ने ताकतवर देशों की कमर तोड़ी
कोरोना महामारी ने दुनिया के तमाम देशों की कमर तोड़ दी है। विश्व के ताकतवर और संपन्न देशों में शुमार ब्राजील की स्थित इन दिनों बदतर हो गई है। कोरोना की रोकथाम के लिए उचित प्रयास नहीं किए जाने के आरोपों के चलते राष्ट्रपति बोलसोनारो को पब्लिक ने अपशब्द कहे हैं और जमकर प्रदर्शन—नारेबाजी की है।

 

 

 

ब्राजील में खरीद—बिक्री घटकर सबसे निचले स्तर
शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील में लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है। यहां बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस ने लोगों को मौत की नींद सुला चुका है। ब्राजील में अचानक से खरीद और ब्रिकी घटकर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडस्ट्री के लिए यह इस दशक का सबसे बुरा दौर है।

 

 

 

 

अप्रैल इस दशक का सबसे बुरा महीना
ब्राजील के राष्ट्रीय उद्योग संघ के मुताबिक अप्रैल माह इस दशक का सबसे बुरा रहा है। अप्रैल में बिलिंग में 23.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल 2019 में यह 26.4 प्रतिशत था। इस माह उत्पादन के घंटों में भारी गिरावट देखी गई है। कोरोना महामारी के चलते क्राइसिस अपने चरम पर पहुंच चुकी है।

 

 

 

 

विकासशील देशों को भारी नुकसान की आशंका
ब्राजील ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी इंडस्ट्री को गहरा झटका लगा है। नौकरीपेशा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लोगों को जॉब से हाथ धोना पड़ा है। इकॉनॉमिक विशेषाों के अनुसार कई विकासशील देश पहले से ही आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे थे। ऐसे देशों के हालात और भी खराब होने वाले हैं।

 

 

 

 

6 करोड़ लोग गरीबी के सबसे निचले स्तर पर पहुंचेंगे
विश्वबैंक की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते ठप हुए कारोबार और उपजे हालात विकासशील देशों के लिए गरीबी के रूप में मुसीबत लेकर आने वाले हैं। विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास के मुताबिक विकासशील देशों के करीब 6 करोड़ लोग गरीबी के निम्नतम स्तर पर पहुंचने वाले हैं।…NEXT

 

 

 

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