शारदा चिटफंड मामले में पूछताछ के लिए कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर पहुंची सीबीआई के साथ हुए टकराव के बाद संसद से लेकर सड़क तक संग्राम सुर्खियां बटोरता हुआ नजर हुआ। यह पहला मामला है, जब सीबीआई और किसी राज्य की पुलिस के बीच सीधा टकराव हुआ हो। ऐसे में सीबीआई का इतिहास जानने और उससे जुड़े विभिन्न प्रावधान के बारे में जानने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई। आइए, जानते हैं सीबीआई से जुड़ी खास बातें।
ब्रिटिश सरकार की स्पेशल पुलिस सेल ऐसे बनी सीबीआई
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भ्रष्टाचार और घूसखोरी की जांच के लिए भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1941 में स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट की स्थापना की। युद्ध के बाद दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के प्रावधानों के तहत इस एजेंसी का संचालन होता रहा। अभी भी सीबीआई का संचालन इसी कानून के तहत होता है। शुरू में तो इसके जिम्मे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच थी लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया।
1963 में गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव के माध्यम से स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट का नाम बदलकर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई कर दिया। इसके संस्थापक निदेशक डी।पी।कोहली थे। उन्होंने 1963 से 1968 तक अपनी सेवा प्रदान की। बाद के सालों में आर्थिक अपराधों के अलावा और अन्य अपराधों की जांच भी खास आग्रह पर सीबीआई को दी जाने लगी। खासतौर पर धोखाधड़ी और अपराध के हाई प्रोफाइल मामलों की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को मिलने लगा। सीबीआई सक्षम और प्रभावी ढंग से काम कर सके इसके लिए 1987 में इसकी दो शाखाएं गठित की गईं। एक शाखा भ्रष्टाचार निरोधी (ऐंटि करप्शन) डिविजन और दूसरी स्पेशल क्राइम डिविजन थी।
कैसे की जाती है सीबीआई जांच की मांग
अगर कोई राज्य सरकार किसी आपराधिक मामले की जांच का सीबीआई से आग्रह करती है तो सीबीआई को पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है। इसके अलावा दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के मुताबिक, अगर राज्य या केंद्र सरकार सहमति की अधिसूचना जारी करती है तो सीबीआई मामले की जांच की जिम्मेदारी ले सकती है। भारत का सुप्रीम कोर्ट या राज्यों के हाई कोर्ट भी मामले की जांच का सीबीआई को आदेश दे सकते हैं।
ऐसे होती है सीबीआई निर्देशक की नियुक्ति
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक कमिटी करती है। कमिटी में पीएम, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या उनके द्वारा सिफारिश किया गया सुप्रीम कोर्ट का कोई जज शामिल होते हैं।
राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर सकती प्रवेश
सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम-1946 के तहत हुआ है। इस अधिनियम की धारा-5 के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच का अधिकार दिया गया है, लेकिन इसी के साथ ही धारा-6 में साफ कहा गया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है। कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने धारा-6 का इस्तेमाल करते हुए बिना उनकी इजाजत के सीबीआई की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इस रोक के मुताबिक केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकेगी। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बाद राज्य का आदेश रद्द किया जा सकेगा…Next
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