कहते हैं दुनिया अजूबों से भरी हुई है ऐसे में आधुनिक युग में कब हमें कोई चमत्कार देखने को मिल जाए, कहा नहीं जा सकता। चीन अपनी दमदार तकनीक के लिए दुनिया भर में मशहूर है। चीन नए-नए गैजेट और अविष्कारों की वजह से भी चर्चा में रहता है। एक ऐसे ही अजूबे के लिए चीन दुनिया भर के मीडिया में छाया हुआ है। चीन ने चंद्रमा के पिछले (धरती से नजर नहीं आने वाले) हिस्से पर अपना स्पेसक्राफ्ट चांगी-4 उतारा। चांद के इस हिस्से पर पहली बार किसी स्पेसक्राफ्ट ने लैंडिंग की है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर स्पेसक्राफ्ट उतार सके हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-1 चांद पर उतारा नहीं गया था। वह चंद्रमा की परिक्रमा के लिए भेजा गया था। इसरो इस महीने के आखिरी तक अपने दूसरे मून मिशन- चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर सकता है।
चांद का जो हिस्सा नजर नहीं आता, चीन ने वहां उतारा स्पेसक्रॉफ्ट
पृथ्वी से चांद का सिर्फ एक ही हिस्सा नजर आता है। इसका कारण ये है कि जब चांद धरती का चक्कर लगा रहा होता है, उसी वक्त वह अपनी धुरी पर भी घूम रहा होता है। यही कारण है कि चांद का दूसरा हिस्सा कभी पृथ्वी के सामने आ ही नहीं पाता है। चीन पिछले काफी लंबे समय से इस मिशन में लगा था, अब जाकर उसका ये मिशन पूरा हो सका।
भारत भी लॉन्च कर सकता मिशन चंद्रयान-2
इससे पहले 2013 में चीन का चांग 3 1976 के बाद चांद पर उतरने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना था। अब चांग 4 को चीन ने चांद के अनदेखे हिस्से में पहुंचाया है, इसकी मदद से वहां पर उसकी सतह, खनिज के बारे में पता लगाया जाएगा। चीन ने चांग 4 को पिछले ही महीने 8 दिसंबर को लॉन्च किया था। भारत भी जल्द ही अपने दूसरे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 2 को लॉन्च कर सकता है। जिसपर दुनियाभर की नजर है।
इस वजह से नजर नहीं आता चांद का दूसरा हिस्सा
धरती से चांद का एक ही हिस्सा नजर आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस गति से चांद धरती का चक्कर लगाता है उसी गति से वह अपनी धुरी पर भी घूमता है। ऐसे में उसका दूसरी तरफ का हिस्सा कभी भी धरती के सामने नहीं आ पाता। इस मिशन के तहत चांद के अंधेरे हिस्से की भू-संरचनाओं और घाटियों का अध्ययन किया जाएगा। वहां मौजूद खनिजों का पता लगाया जाएगा। इस हिस्से पर बर्फ के रूप में पानी जमा है इसलिए इसे इंसान के बसने के लिए आदर्श माना जाता है। पृथ्वी से नजर नहीं आने की वजह से चांद के दूसरे हिस्से पर मौजूद एयरक्राफ्ट से सीधे संपर्क हो पाना नामुमकिन है। ऐसे में चांगी-4 से संपर्क स्थापित करने के लिए एक सैटेलाइट मई में ही लॉन्च। कर दिया गया था।
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