देशभर में दुर्गा पूजा की धूम होती है और इस दौरान मूर्ति स्थापाना और पंडाल निर्माण देखने लायक होता है। बंगाल, बिहार और उड़ीसा जैसे राज्यों में मूर्ति स्थापाना और पंडाल देखने लायका होते हैं। वहीं यूपी, दिल्ली और आसपास के राज्यों में नवरात्रि के नौ दिनों में रामलीला का आयोजन और दशमी के दिन दशहरा और रावण वध की धूम रहती है। दशहरा या विजयदशमी का त्योहार भगवान राम की रावण पर और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का प्रतीक है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन जगहों के बारे में जहां का दशहरा, देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फेमस है।
1. दिल्ली की विजयदशमी
देश की राजधानी दिल्ली में दशहरा की अलग ही धमक रहती है, जिसमें विजयदशमी के दिन जलते रावण के पुतले के आस-पास सजते मेले सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनते हैं.यहां यह त्योहार खासकर रावण पर श्रीराम के विजय के तौर पर मनाया जाता है,इसलिए शहर भर के राम मंदिरों की छठा देखते ही बनती है.औसतन दिल्ली में हर साल 1000 रामलीला और 250 पूजा पंडाल सजते हैं।
2. मैसूर का दशहरा
मैसूर का दशहरा भी वर्ल्ड फेमस है। यहां दशहरे के मौके पर निकलने वाली झांकी को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं। मैसूर का दशहरा सेलिब्रेशन 9 दिनों तक चलता है और आखिरी दिन यानीं दसवें दिन विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान ग्रैंड प्रोसेशन निकाला जाता है औऱ सिर्फ मैसूर पैलेस ही नहीं बल्कि पूरा शहर दुल्हन की तरह सजाया जाता है। शहर के प्रमुख चामुंडेश्वरी मंदिर में भी दशहरा फेस्टिवल जोर शोर से मनाया जाता है।
3. कुल्लू का दशहरा
ऐसी मान्यता है कि कुल्लू का दशहरा सेलिब्रेशन 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ था जब कुल्लू राजा-महाराजाओं का गढ़ माना जाता था। यहां का दशहरा सेलिब्रेशन भी अलग ही लेवल पर होता है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने-अपने आराध्य देव की मूर्ति को डोली में बिठाकर झांकी निकाली जाती है और मंदिर मैदान में स्थित कुल्लू के मुख्य भगवान भगवान जगन्नाथ से मिलने पहुंचते हैं। यहां दशहरा का उत्सव 7 दिनों तक चलता है जिसमें नाच-गाने के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।
4. बस्तर का दशहरा
आपको जानकर हैरानी होगी कि बस्तर का दशहरा पूरे 75 दिनों तक चलता है। छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे खूबसूरत शहर है बस्तर जो अपनी प्राकृतिक और आदिवासी संस्कृति के साथ ही दशहरा सेलिब्रेशन के लिए भी मशहूर है। हालांकि बस्तर के दशहरे में भगवान राम या रामायण से जुड़ा को भी किरदार शामिल नहीं होता। ऐसी मान्यता है कि बस्तर या जगदलपुर के दशहरे की शुरुआत 13वीं शताब्दी में काकातिया राजा ने की थी जो यहां उस वक्त शासन करते थे। दशहरे के मौके पर रथ यात्रा भी निकाली जाती है।…Next
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