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कैफीन की खोज करने वाले वो वैज्ञानिक जो ‘केमिकल हिस्ट्री’ में थे बड़ा नाम लेकिन जॉब जाने के बाद गरीबी में बीत गई जिंदगी

गूगल किसी फेस्टिवल, स्पेशल दिनों में डूडल बनाकर उस दिन को सेलिब्रेट करता है. साथ ही किसी मशहूर शख्स के नाम पर भी डूडल बनाकर उसे ट्रिब्यूट दिया जाता है. आज गूगल डूडल पर कप पकड़े हुए एक आदमी की फोटो दिखाई दे रही है, कप में गर्म चाय या कॉफी है, जिसमें धुआं निकल रहा है. ऐसे में लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि गूगल ने ये डूडल क्यों बनाया है.
चलिए, हम आपको बताते हैं

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal8 Feb, 2019

 

 

केमिस्ट फ्रीडलीब फर्नेन रंज ने की थी कॉफी की खोज
आज गूगल ने अपना डूडल उस कैमिस्ट के नाम किया है, जिसने कैफीन की खोज की। जर्मनी के केमिस्ट फ्रीडलीब फर्नेन रंज के 225वें जन्मदिन पर गूगल ने कॉफी के रंग का डूडल दिख रहा है, जिसमें फ्रेडलिब खुद कॉफी का कप पकड़े नजर आ रहे हैं। डूडल में वह कप से कॉफी पीते हैं और कैफीन का असर महसूस करते दिखते हैं। उनके बगल एक बिल्ली को भी बैठे दिखाया गया है।
जर्मनी में 8 फरवरी 1794 को जन्मे रंज को केमिस्ट्री से खासा लगाव था और इसी के चलते उन्होंने कॉफी में पाए जाने वाले साइकोऐक्टिव ड्रग कैफीन की पहचान की। कैफीन एक कड़वी, सफेद क्रिस्टलाभ एक्सेंथाइन एलकेलॉइड होती है, जो एक साइकोऐक्टिव (मस्तिष्क को प्रभावित करनेवाली) उत्तेजक ड्रग है। 1819 में रंज ने इसकी खोज की और इसे कैफीन नाम दिया। इसके लिए जर्मन शब्द Kaffee था, जो कैफीन बन गया।

 

 

ऐसे की कैफीन की खोज
रंज ने उस वक्त पता लगाया कि इस पौधे में पाया जाने वाला कोई केमिकल आंखों की पुतलियों के फैलने और सिकुड़ने पर असर डालता है। इस नई खोज ने जर्मन राइटर और विद्वान जॉन वुल्फगैंग वोन गोएथ का ध्यान खींचा और उन्होंने रंज को कॉफी बीन्स के केमिकल कंपोजीशन का विश्लेषण करने को कहा।

 

रंज ने सफलतापूर्वक अरेबिक मोका बीन्स से कैफीन केमिकल को अलग किया और उसका पता लगाया। इस कैफीन की रासायनिक संरचना पहली बार 1819 में सामने आई। केमिकल हिस्ट्री में बड़ा नाम होने के बावजूद अपने जीवन के अंतिम दिनों में फ्रीडलीब को 1852 में एक केमिकल कंपनी के मैनेजर द्वारा निकाल दिया गया और वह गरीबी में रहे। 73 साल की आयु में 25 मार्च 1867 को उनकी मृत्यु हो गई…Next

 

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