‘तुम्हें क्योंकर बताएं जिंदगी को क्या समझते हैं,
वह यह कहते हैं मौत का भी इलाज हो शायद, जिंदगी का कोई इलाज नहीं’
फिराक गोरखपुरी का लिखी ये लाइनें जिंदगी की दुश्वारियों को बयां करती है। फिराक साहब के बारे में कहा जाता है कि उन्हें सुनना इतना आसान नहीं था। वो कहते-कहते कब अपने दिल के दुखों के अलावा समाज की कड़वी हकीकत की बात कह जाते थे, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। मशहूर शायर निदा फाज़ली ने उन्हें उर्दू शायरी की दुनिया में ग़ालिब और मीर के बाद तीसरे पायदान पर रखा था। कुछ लोग कहते थे कि वो दुनिया से हमेशा चिढ़े-चिढ़े से रहते थे और न जाने कुछ खुद से भी नाराजगी थी उनकी। ऐसा ही एक किस्सा है अभिनेत्री नादिरा से जुड़ा हुआ-
फिराक साहब अक्सर शराब पीकर लिखने या शेरों-शायरी कहने बैठ जाया करते थे। उन दिनों वो मुंबई में मशहूर अभिनेत्री नादिरा के घर रहा करते थे। एक दिन उन्होंने सुबह होते ही शराब का दामन थाम लिया और शाम होते-होते खुद के शब्दों पर काबू न रहा। वो दुनिया पर गुस्सा निकालते हुए शायरी करने लगे। वो गाली में कहे जाने वाले शब्दों को कविताओं या शायरी में ढालकर नादिरा के सामने पेश करने लगे।
जैसे, कुत्ते को लोग गाली की तरह कहते हैं, जबकि प्यार देने पर कुत्ते से वफादार इंसान भी नहीं। फिराक साहब समाज की बनी ऐसी ही गालियों पर कविताएं कहने लगे। जब नादिरा परेशान हो गईं। तब उन्होंने इस्मत चुगताई को बुलावा भेजा। जैसे ही इस्मत वहां पहुंचीं, फिराक खुद को संभालते हुए इस्मत से उर्दू साहित्य पर बातचीत करने लगे। यह देखकर नादिरा हैरान रह गई और चिढ़कर बोलीं,
फिराक साहब, वो गालियां क्या ख़ास मेरे लिए थीं?, फिराक ने मासूमियत से जवाब दिया,
‘अब तुम समझ गई होगी गालियों को कविता में कैसे बदलते हैं।’
फिराक गोरखपुरी की शायरी
1. कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
2. हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
3. आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
4. ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
5. अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
6. तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें…Next
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