वायुसेना के विंग कमांडर रहे राकेश शर्मा को भारत का पहला अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल है। वह अकेले भारत के हीरो नहीं हैं, बल्कि उन्हें सोवियत यूनियन का हिस्सा रहे देशों में हीरो का दर्जा हासिल है। आज यानी 13 जनवरी के दिन उनका जन्म हुआ था। सपाट और मजबूत विचारों के धनी प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा से पहले उस्मानिया यूनीवर्सिटी से पढ़कर निकले और कई उपलब्धियां हासिल कीं। आईए जानते हैं एक सौम्य छात्र से अंतरिक्ष यात्री बनने के उनके सफर के बारे में।
निजाम कॉलेज से पढ़ाई कर पहुंचे एनडीए
पंजाब प्रांत के पटियाला शहर में 13 जनवरी 1949 को जन्मे राकेश शर्मा शुरू से कुशाग्र बुद्धि के थे। किशोरावस्था में ही वह बिगड़ी हुई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिना ट्रेनिंग लिए ठीक कर लिया करते थे। तकनीक को लेकर उनकी चाहत को देखते हुए उन्हें हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी के निजाम कॉलेज में दाखिला दिलाया गया। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद राकेश शर्मा ने 1966 में भारतीय सेना का हिस्सा बनने के इरादे से नेशनल डिफेंस अकेडमी ज्वाइन कर ली। 1970 में उन्हें भारतीय वायु सेना में नौकरी मिल गई।
पाकिस्तान से जंग में हिम्मत दिखाने पर चर्चित हुए
नौकरी के एक साल बाद ही 1971 में उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ जंग का सामना करना पड़ा। इस जंग में स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने अपने मिग एयर क्राफ्ट से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। युद्ध में उनके कौशल और साहस को सराहा गया और पूरे देश में उनकी चर्चा होने लगी। खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा की दिलेरी और अक्लमंदी की तारीफ करते हुए उन्हें देश का सच्चा सिपाही बताया।
अंतरिक्ष में 7 दिन से ज्यादा समय तक रहे
भारत और सोवियत यूनियन के संयुक्त अंतरिक्ष अभियान कोसमोस के लिए 1982 में भारत से राकेश शर्मा का चुनाव किया गया। राकेश शर्मा को 1984 में अंतरिक्ष मिशन के लिए सोयूज टी 11 से अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ लांच किया गया। वह भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए। अंतरिक्ष में राकेश शर्मा ने करीब 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट तक अंतरिक्ष में रहे।
इंदिरा गांधी से बोले सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा
राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में उत्तरी भारत के हिस्से की तस्वीरें लीं और बिना गुरुत्वाकर्षण के रहने की ट्रेनिंग भी ली। इस दौरान भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उनसे संपर्क कराया गया। इंदिरा गांधी ने पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। इस सवाल के जवाब में राकेश शर्मा ने कहा कि मैं बिना किसी झिझक के कह सकता हूं कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा। राकेश के इस जवाब ने उन्हें भारत का हीरो बना दिया।
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सोवियत यूनियन ने हीरो घोषित किया
राकेश शर्मा अंतरिक्ष मिशन को पूरा कर वापस लौटे तो उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। सोवियत यूनियन ने उन्हें हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन के तमगे से सम्मानित किया। इसके अलावा भी राकेश शर्मा को कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। राकेश शर्मा विंग कमांडर के पद पर रहते हुए वायुसेना से रिटायर हुए और एयरक्रॉफ्ट बनाने वाली नवरत्न कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के चीफ नियुक्त किए गए।…NEXT
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