आपको अगर हिन्दी से प्यार है, तो आपको हिन्दी फिल्मे, थियेटर और किताबें पढ़ना भी जरूर पसंद होगा. अगर आप इस ‘हिन्दी दिवस’ पर कुछ खास कहानियां पढ़ना चाहते हो, तो आपको हिन्दी साहित्य पर आधारित ये 7 कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए।
रागदरबारी
मॉडर्न हिन्दी रचनाओं में दिल तक उतरने वाली रचना। श्रीलाल शुक्ल द्वारा रचित ये उपन्यास बिजली की गतिशीलता और आजादी के बाद भारत में मूल्यों का क्षरण को एक्सपोज करता है। यह उपन्यास एक आदर्श स्टूडेंट की कहानी कहता है, जो सामाजिक, राजनीतिक बुराइयों में अपने विश्वविद्यालय में मिली आदर्श शिक्षा के मूल्यों को स्थापित करने के लिए संघर्ष करता है।
मधुशाला
छंदों का यह संग्रह महान कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन द्वारा 20वीं शताब्दी में रचित ऐसी कृति है जिसे आज भी पसंद किया जाता है। कविताओं का यह संग्रह जीवन के जटिल मुद्दों को मधु यानी शराब और प्याले को मधुशाला यानी मदिरालय के रूप में दर्शाया गया है।
मैला आंचल
फणीश्वरनाथ रेणु ‘द कॉमनमेन्स ऑथर’ का यह उपन्यास लेखक की क्षेत्रीय पकड़ और हिन्दी भाषा की सादगी के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। यह उपन्यास उत्तर पूर्व बिहार के छोटे से गांवमें सामान्य लोगों के एक ग्रुप पर है, जो कई कठिनाइयों और संघर्षों का सामना कर रहा है। यह भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास है। यह एक रियल लाइफ कैरेक्टर ऐसे डॉक्टर पर लिखी गई रचना है जो निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों को पूरा करता है।
गोदान
महान कहानीकार, साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की रचना गोदान हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 1956 की इस रचना को हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता है। इसका अंग्रेजी शीर्षक है द गिफ्ट ऑफ अ काऊ। यह रचना एक ऐसी उपन्यास विधा है जिसपर फिल्म भी बनी। ये उपन्यास एक ऐसे वृद्ध दंपती की सामाजिक स्थिति और गाय के महत्व के इर्द-गिर्द घूमता है। सामाजिक संघर्षों में जी रहे इसके मुख्य पात्र होरी और धनिया साहित्य की दुनिया में अमर हो गए।
टोबा टेक सिंह
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे विभाजन पर अनेक कहानियां, उपन्यास, समाजशास्त्रीय-राजनीतिक विश्लेषण आदि लिखे गए, लेकिन सआदत हसन मंटो की कहानी – ‘टोबा टेक सिंह’ इस विभाजन के पीछे सक्रिय राजनीति और सांप्रदायिकता के उन्माद की अविस्मरणीय, सार्वभौमिक, कालजयी क्लासिक बन गई. जब पाकिस्तान के पागल बिशन सिंह को उसके गांव टोबा टेक सिंह से निकाल कर हिंदुस्तान भेजा जाता है तब वह दोनों देशों की सरहद पर मर जाता है.
कफ़न
प्रेमचंद की लिखी कहानी ‘कफ़न’ आर्थिक विषमता को किसी अमानुषिक वास्तविकता की त्रासदी में बदलते देखना आज की वंचना और अमीरी की खाइयों में बाँटने वाली राजनीति और समाज व्यवस्था पर यह कहानी एक कालजयी तमाचे की तरह है.यह दुर्भाग्य ही था कि इस कहानी को दलित विमर्श के तहत पिछले वर्षों में विवादों में घेरा गया.
उसने कहा था
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है, लेकिन चंद्रधर शर्मा गुलेरी की इस रचना में आपको काफी कुछ अलग पढ़ने को मिलेगा…Next
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