हिरोशिमा (जापान) एक ऐसा नगर जो विश्व में सबसे पहले परमाणु हमले का शिकार हुआ। 1945 में जब विश्व युद्ध II अंतिम चरण में था, उसी समय 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा के ऊपर परमाणु बम से हमला कर दिया जिसके परिणाम स्वरुप 78,000 लोग तुरंत मौत के मुँह में समा गए और यह आँकड़ा धीरे धीरे 2 लाख तक पहुँच गया।
लेकिन इतनी बड़ी त्रासदी के बीच यदि कोई सुरक्षित था तो वह था यमकी, उनका परिवार और उनके आँगन में लगा बोन्साई का एक पेड़ जो उस समय हिरोशिमा में घटित दुःखद दृश्यों के साक्षी थे। यह यमकी और उनके परिवार का सौभाग्य था कि बम गिरने वाले स्थान से मात्र 2 मील की दूरी पर स्थित होने के बावजूद उनको सिर्फ खरोंचे ही आयी और बाहर बगीचे में लगा यह पेड़ ऊँची दीवार के कारण सुरक्षित बच गया।
इस घटना के 30 साल बाद 1976 में ‘बोन्साई’ के मालिक ने इस नन्हे और छोटे से पेड़ को अमेरिका को उसकी स्वतंत्रता की 200 वीं वर्षगाँठ के समारोह उत्सव के मौके पर अमेरिका के राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान को भेंट में दे दिया था, जो कई सालों तक यहाँ पर गुमनामी के अँधेरे में खड़ा हुआ था। यमकी के परिवार के अलावा दुनियाँ के सभी लोग इस नन्हे छोटे पेड़ की कहानी से अनभिज्ञ थे।
यमकी के पोते और पोती उस पेड़ को देखना चाहते थे जिसकी जिसकी कहानी सुन वह बड़े हुए थे और इसकी तलाश में वह दोनों अमेरिका के राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान में पहुँचे। बोन्साई के इस पेड़ का सच जब वहाँ उपस्तिथ लोगों को पता लगा तो सबके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उन्होंने बताया कि इस बोन्साई के पेड़ ने उनकी 5 से 6 पीढ़ियों का सफर देखा है और यह अब लगभग 392 साल का हो चुका है। 2001 तक यह आश्चर्यजनक सत्य एक रहस्य बना हुआ था। इसके बाद बोन्साई को अमेरिका की राष्ट्रीय वनस्पति वाटिका में विशेष स्थान प्रदान किया गया और हिरोशिमा अटैक की 70 वीं बरसी पर शान्ति का प्रतीक मानते हुए अमेरिका द्वारा इस पेड़ को विशेष सम्मान प्रदान किया गया था।…Next
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