भारत के इतिहास के कुछ पन्ने ऐसे हैं जिनके बारे में जब भी बात होती है। हमेशा उदासी और दुख का अनुभव होता है। शायद यह सांझा दर्द ही हमें एक-दूसरे से जोड़ता है। ऐसा ही स्याह पहलू है जलियांवाला बाग नरसंहार का। जो ब्रिटिश शासनकाल का अमानवीय पहलू हमारे सामने लाता है। 13 अप्रैल 1919 की बैसाखी हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गई। पंजाब समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अमृतसर पहुंचे थे। अमृतसर में एक दिन पहले ही अंग्रेजी हुकुमत ने कर्फ्यू लगा दिया। ऐलान किया गया कि लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। बैसाखी की सुबह गोल्डन टेंपल में दर्शन के बाद धीरे-धीरे लोग जलियांवाला बाग में जुटने लगे। कुछ वक्त में हजारों की भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी।
जनरल डायर ने अंधाधुंध फायरिंग का दिया था आदेश
ब्रिगेडियर जनरल डायर को मालूम चला कि बाग में कोई मीटिंग होने वाली है। गुस्साया जनरल डायर जलियांवाला बाग की तरफ पुलिस के साथ बढ़ चला। जलियांवाला बाग के गेट का वो सकरा रास्ता पुलिस के सिपाहियों से भर चुका था। जनरल डायर ने बिना किसी वॉर्निंग के सिर्फ एक शब्द FIRE कहा और हजारों जिंदगियां खामोश हो गईं। कहते हैं फायरिंग से बचने के लिए औरतों ने बाग में बने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी। दीवारों पर चढ़कर बाग से बचकर निकलने की कोशिश करते लोगों पर भी पुलिस ने फायरिंग की। गोलियों के निशां बाग की दीवारों पर आज तक मौजूद हैं। सरकारी दस्तावजों में मौत का आंकड़ा 380 बताया गया। लेकिन असल में हजारों लोग मारे गए थे और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए थे।
ब्रिटेन के वर्तमान पीएम ने बताया शर्मनाक धब्बा
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टरीजा मे ने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड को भारत में ब्रिटिशकालीन इतिहास पर एक शर्मनाक धब्बा करार दिया। घटना की 100वीं वर्षगांठ पर टरीजा मे ने कहा कि ब्रिटेन को उस नरसंहार पर गहरा अफसोस है। टरीजा ने कहा, ‘1919 की जलियांवाला बाग त्रासदी ब्रिटिश-भारतीय इतिहास के लिए शर्मनाक धब्बा है। जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे बीते हुए इतिहास का दुखद उदाहरण है।’ 14 अक्टूबर 1997 को ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिज़ाबेथ-2 इंडिया आईं थी उन्होंने जलियांवाला बाग जाकर जान गवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर डेविड कैमरून भी 2013 में जब इंडिया आए तो जलियांवाला बाग गए। कैमरन ने जलियांवाला बाग कांड को शर्मनाक बताया।…Next
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