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इंसान होने के नाते जानवरों के प्रति भी है आपकी जिम्मेदारी, भारत में जानवरों की सुरक्षा के लिए ये है कानून

भागवतपुराण में एक कहानी मिलती है जिसके अनुसार एक बार भगवान विष्णु को गजेंद्र नामक हाथी और मकरध्वज नाम के मगरमच्छ को बचाने के लिए धरती पर आना पड़ा था। क्योंकि उन पर इंसान लगातार अत्याचार कर रहे थे। इस कहानी में ये बात भी लिखी गई है कि भगवान विष्णु ने सबसे बड़े पापों में किसी बेजुबान जानवर को कष्ट देने को अक्षम्य माना है। लेकिन समाज की कड़वी सच्चाई तो ये है कि लोग भगवान को पूजने के नाम पर न जाने कितने जानवरों पर रोजाना जुल्म करते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal4 Oct, 2018

 

 

इंसान बन रहा है जानवर!
कुछ दिन पहले गर्भवती बकरी के साथ दुष्कर्म का मामला भी सामने आया था। जानवरों पर अत्याचार का ये ऐसा पहला मामला नहीं है। 2016 में उत्तराखंड विधायक गणेश जोशी के पागलपन का शिकार हुआ पुलिस का बहादुर घोड़ा शक्तिमान दुनिया को अलविदा कह गया। उस पर हुई क्रूरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस सेवा में खास मुकाम बना चुके शक्तिमान की टांग भी काटनी पड़ी थी। इंफेक्शन फैलने से कुछ दिनों बाद ही उसकी मौत हो गई।
वहीं उसी साल ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन के सीसीटीवी में की भी है, जिसमें एक इंजीनियर ने बड़ी ही बर्बरता से 2 छोटे पिल्लों को चाकूओं से गोदकर मार डाला था। एक महिला ने एक बेतुके से कारण पर 8 पिल्लों को उनकी मां के सामने जान से मारने से भी गुरेज नहीं किया। पिछले साल एक कुत्ते को जिदां जलाने का वीडियो सोशल नेटवर्किग साइट पर खूब वायरल हुआ। उसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। हैरत की बात ये है कि जितनी फुर्ती से ये अपराध के वीडियो वायरल होती हैं, उतनी तेजी से कोई जानवरों पर अत्याचार रोकने को नहीं आता।

 

 

जानवरों पर बढ़ती क्रूरता रोकने के लिए क्या कहता है कानून

बीते सालों में जानवरों पर क्रूरता के मामलों में इजाफा देखने को मिला है। वहीं जानवरों पर अत्याचार रोकने वाले कानून की बात करें, तो उसे देखकर ऐसा लगता है कि कानून का सख्ती से पालन ना करने की वजह से जाने-अनजाने अधिकतर लोग जानवरों पर अत्याचार करते हैं। जोकि कानून अपराध है।

1. भारतीय संविधान के अनुच्छे 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।

2. कोई भी पशु (मुर्गी समेत) सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जाएगा। बीमार और गर्भ धारण कर चुके पशु को मारा नहीं जाएगा। प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट और फूड सेफ्टी रेगुलेशन में इस बात पर स्पष्ट नियम हैं।

3. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक किसी पशु को मारना या अपंग करना, भले ही वह आवारा क्यों न हो, दंडनीय अपराध है।

 

 

4. प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट (पीसीए) 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा हो सकती है।

5. एंटी बर्थ कंट्रोल रूल्स (डॉग) इसके तहत आवारा कुत्तों के प्रजनन को रोकने के लिए उनका टीकाकरण किया जा सकता है लेकिन उन्हें मारना कानून अपराध है।

6. कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि किसी बीमारी का शिकार होने पर लोग अपने पालतू जानवरों को कहीं छोड़ देते हैं, आपको बता दें कि ये एक कानूनन अपराध है, जिसके लिए सजा का प्रावधान भी है। प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट (पीसीए) 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा हो सकती है…Next

 

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