लोकसभा चुनाव 2019 की वोटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। 19 मई को आखिरी चरण का मतदान है, जिसके बाद 23 मई को नतीजा आएगा। ऐसे में ज्यादातर लोग चुनाव कर चुके हैं, अगर आप भी उन लोगों में शामिल है, तो वोट देने से ठीक पहले आपकी उगंली पर स्याही का निशान लगाया गया होगा इसके बाद आपने वोट दिया होगा। यह स्याही क्यों लगाई जाती है, यह बात ज्यादातर लोग जानते हैं कि मतदाता दुबारा वोट न डाले या किसी और तरह की धांधली से बचने के लिए इस स्याही का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी यह पक्की स्याही किस चीज से बनाई जाती है और इतनी अलग क्यों होती है? आइए, जानते हैं।
कहां से आती है यह स्याही
भारत में सिर्फ दो कंपनियां हैं जो वोटर इंक बनाती हैं- हैदराबाद के रायडू लैब्स और मैसूर के मैसूर पेंट्स ऐंड वॉर्निश लिमिटेड। यही दोनों कंपनियां पूरे देश को वोटिंग के लिए इंक सप्लाई करती हैं। यहां तक कि इनकी इंक विदेशों में भी जाती है।
इतनी पक्की क्यों होती है स्याही
इन कंपनियों के परिसर में इंक बनाते वक्त स्टाफ और अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। बता दें कि वोटिंग में इस्तेमाल होने वाली इंक में सिल्वर नाइट्रेट होता है जो अल्ट्रावॉइलट लाइट पड़ने पर स्किन पर ऐसा निशान छोड़ता है जो मिटता नहीं है। ये दोनों कंपनियां 25,000-30,000 बोतलें हर दिन बनाती हैं और इन्हें 10 बोतलें के पैक में रखा जाता है।
इन देशों में भी एक्सपोर्ट की जाती है स्याही
साल 2014 में हुए चुनावों में चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने सिल्वर नाइट्रेट की मात्रा 20-25 प्रतिशत बढ़ा दी थी ताकि वह लंबे समय तक लगी रहे। हैदराबाद की कंपनी ऐफ्रिका के रवांडा, मोजांबीक, दक्षिण ऐफ्रिका, जांबिया जैसे देशों में इंक आपूर्ति करती है। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर पल्स पोलियो प्रोग्राम के लिए भी काम करती है। वहीं, मैसूर की कंपनी यूके, मलेशिया, टर्की, डेनमार्क और पाकिस्तान समेत 28 देशों में भेजती है।…Next
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