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विरोध प्रदर्शन के बाद दक्षिण अफ्रीका में इस वजह से हटाई गई थी महात्मा गांधी की मूर्ति, अब दुबारा लगाने की घोषणा

महात्मा गांधी पर हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अलग-अलग विचार है। लेकिन इतना तो मानना होगा कि उनके विचार इतने प्रभावशाली थे जिन्हें आगे चलकर विचारधारा का नाम दे दिया गया। आज हमारे आसपास जो व्यक्ति हिंसा में विश्वास नहीं रखता या शांत होता है, उसे अक्सर हम गांधीवादी कहकर पुकारने लगते हैं। ऐसे में महात्मा गांधी के शख्सियत से ज्यादा एक विचार थे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। भारत के अलावा कई देश ऐसे रहे हैं जहां उनके विचारों को लेकर लम्बी बहस रही है। हम ये बात तो जानते हैं कि उन्होंने रंगभेद, नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसे भेदभाव की नीति के खिलाफ एक आवाज माना जा सकता है। लेकिन इस विचार का दूसरा पहलू ये है कि श्वेत लोग इस अपने खिलाफ खड़ी आवाज या अपने साथ भेदभाव मानकर भी महात्मा गांधी का विरोध करते हैं। पश्चिम अफ्रीका के देश घाना में भी इसी बात को लेकर एक लम्बा विवाद छिड़ा हुआ था। जिसके चलते महात्मा गांधी की मूर्ति को यहां से हटा लिया गया था।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal7 Mar, 2019

 

 

नस्लभेदी थे गांधी!
जून 2016 में भारत के उस समय के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी घाना के दौरे पर गए। इसी दौरान 13 जून को यहां यूनिवर्सिटी ऑफ घाना में उन्होंने महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया। उनके विचार पर यहां भी बहस देखने को मिलती है। असल में गांधी जब दक्षिण अफ्रीका में रहकर वकालत की प्रैक्टिस करते थे। यूनिवर्सिटी के भी कई छात्रों और प्रोफसर्स को गांधी की इस मूर्ति से दिक्कत थी। उनका कहना था कि गांधी नस्लभेदी थे। अश्वेतों पर आपत्तिजनक राय रखते थे, इसीलिए गांधी की जगह अफ्रीका के नायकों को तवज्जो दी जानी चाहिए।

 

 

विरोध प्रदर्शन के बाद हटा दी गई थी

नवम्बर 2018 में यहां के छात्रों और प्रोफेसर्स ने गांधी की मूर्ति को हटवाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था, उनके विरोध का ये नतीजा हुआ कि यूनिवर्सिटी से गांधी की मूर्ति हटा दी गई। इसके बाद घाना के विदेश मंत्री का बयान आया। उन्होंने कहा कि गांधी की प्रतिमा को कोफी अन्नान सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में लगाया जाएगा। इस बात पर अमल अब पूरा हुआ। मूर्ति रिलोकेट हो गई है।

 

 

 

महात्मा गांधी की किस बात से थी शिकायत
महात्मा गांधी करीब 21 सालों तक दक्षिण अफ्रीका में रहे, इस दौरान अश्वेतों पर होने वाले भेदभाव के प्रति उन्होंने न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि अश्वेत लोगों को भी जागरूक किया। ऐसे में श्वेतों को उनके विचारों से इसलिए दिक्कत है क्योंकि उन्होंने समानता का भाव लाने की बजाय श्वेतों को काफिर या जुल्म करने वाला बताकर अलग-थलग या शोषक बना दिया। गांधी ने अपने संबोधन में श्वेतों के लिए कई ऐसे शब्दों का प्रयोग जो बेहद आपत्तिजनक थे। इस वजह से गांधी के विचार बहस का मुद्दा बने। बहरहाल, गांधी की मूर्ति को फिर से लगाया जा रहा है।…Next

 

 

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