‘हमें अपनों को कभी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि उनसे जरूरी कुछ भी नहीं, वो मरने के बाद भी हमें दूसरी दुनिया से देखते हैं’
पिछले साल एनिमेटेड फिल्म ‘कोको’ रिलीज हुई थी, जिसमें मरे हुए लोगों के दिन और एक बच्चे ‘मिखेल’ के सपने के इर्द-गिर्द घूमती कहानी थी। फिल्म को बेस्ट एनिमेटेड फीचर के अवार्ड से भी नवाजा गया। इस फिल्म के बाद ‘आत्माओं के दिन’ उत्सव को लेकर दुनिया भर के लोगों में दिलचस्पी बढ़ गई।
कई बातों को देखा जाए, तो इस उत्सव की कुछ बातें भारत में हर साल मनाए जाने वाले श्राद्ध से मिलती-जुलती है।
क्या है ‘डे ऑफ डेड’ उत्सव
मेक्सिको सिटी में ‘डिया डे मुएर्टोस’ नाम के एक सालाना समारोह की शुरुआत हो चुकी है। स्थानीय भाषा से इसका मतलब होता है ‘मृतकों का दिन’। इस मौके पर मैक्सिको सिटी में एक परेड भी आयोजित की गई। मेक्सिको की राजधानी में तीसरी बार इस समारोह का आयोजन हो रहा है। साल 2016 में इस समारोह की शुरुआत हुई थी। इससे पहले इस दिन को समारोह की तरह नहीं प्रथा की तरह मनाया जाता था।
क्या है उत्सव की खास बातें
इस परेड में शिरकत करने वाले कुछ लोग अपने हाथों में मेक्सिको बॉर्डर की दीवार के कुछ टुकड़े लिए हुए थे। इन टुकड़ों पर स्पेनिश भाषा में लिखा था कि “दीवार के इस तरफ़ रहने वालों के भी कुछ सपने हैं।” ये समारोह पिछले साल 2 नवंबर को आयोजित किया गया था। इस दिन के बारे में ये मान्यता है कि मेक्सिको के लोग अपने मृत परिजनों को इस दिन सम्मानित करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनकी आत्मा एक दिन पृथ्वी पर जरूर लौटेगी।
मरे हुए लोगों को दिया जाता है पूरा सम्मान
इस समारोह को मेक्सिको के विभिन्न इलाक़ों में अलग-अलग तरीक़ों से मनाया जाता है। कुछ परिवार मोमबत्तियां जलाकर अपने परिजनों को याद करते हैं। कुछ लोग क़ब्रगाहों में जाकर छोटा आयोजन करते हैं और कुछ अपने घरों में ही मृतकों के नाम पर पूजा स्थल स्थापित करते हैं। लेकिन कंकाल का मुखौटा, भड़कीले रंगीन कपड़े और पेंट से कलाकारी भी अब इस समारोह का हिस्सा बन गए हैं। इस बार इस उत्सव में करीब 1200 लोगों ने भाग लिया था….Next
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