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प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह का 93 की उम्र में निधन, 1959 में लड़ा था लोकसभा चुनाव

नभ के नीले सूनेपन में

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal20 Feb, 2019

हैं टूट रहे बरसे बादर

जाने क्यों टूट रहा है तन !

बन में चिड़ियों के चलने से

हैं टूट रहे पत्ते चरमर

जाने क्यों टूट रहा है मन !

 

 

 

अपने मन की व्यथाओं और मानव जीवन की अनगिनत भावनाओं को खूबसूरत शब्द देने वाले हिन्दी के महान साहित्यकार नामवर सिंह का 93 साल की उम्र में निधन हो गया।  नामवर सिंह पिछले एक महीने से बीमार थे। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री है। उनकी पत्नी का निधन कई साल पहले हो गया था। नामवर सिंह की गिनती देश के बड़े बुद्धिजीवियों तथा विद्वानों में होती थी। उनकी प्रमुख कृतियों में छायावाद,  दूसरी परम्परा की खोज, इतिहास और आलोचना, कहानी: नयी कहानी, हिन्दी  आधुनिक साहित्य की  प्रवृतियां, वाद विवाद संवाद प्रमुख हैं।

 

 

आइए, जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

8 जुलाई 1926 को बनारस के गांव जीयनपुर (अब चंदौली) में पैदा हुए नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी। इसके अलावा साहित्यकार नामवर ने अध्यापन और लेखन के अलावा उन्होंने ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ नामक हिंदी की दो पत्रिकाओं का संपादन भी किया है।

 

 

1959 में लड़ा था विधानसभा चुनाव 

1959 में चकिया-चंदौली लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भी रहे लेकिन हारने के बाद बीएचयू छोड़ दिया। ओम थानवी के अनुसार वो कट्टर मार्क्सवादी थे लेकिन उन्होंने प्रतिभा को पहचानने और प्रोत्साहन देने में अपने निजी विचारों को उसके रास्ते में नहीं आने दिया। उनकी उदारता धीरे-धीरे और पनपती चली गई।

उनके निधन पर हिन्दी जगत की कई हस्तियों ने दुख जताया है।…Next 

 

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