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नेशनल वोटर डे : भारत में ज्यादातर मतदाता नहीं जानते ये अहम नियम

चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां लुभाने में लग जाती है। नेताओं के लिए मतदाता बेशक कुर्सी तक पहुंचने का जरिया हो लेकिन वोटर को अपने वोट की कीमत पता होनी चाहिए। वोटर को ये एहसास होना चाहिए कि वो किसी भी तरह से चुनावी उम्मीदवार से कम नहीं है बल्कि उसके एक-एक वोट से ही सरकार बनती है। ऐसे में वोटर नियमों के साथ अधिकार भी पता होने चाहिए।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal25 Jan, 2019

 

 

राष्ट्रीय मतदाता दिवस का महत्व
भारत में हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। विश्व में भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाने लगा था। साल 1950 से स्थापित चुनाव आयोग के 61वें स्थाभपना साल पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ का शुभारंभ किया था।

 

पहले वोट देने की आयु थी 21 साल
प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाताओं की एक सूची होती है, जिसे निर्वाचक नामावली कहते हैं। निर्वाचक नामावली में नाम लिखवाने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मतदाता सूची होती है। संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के अनुसार मतदाता के रजिस्ट्रीकरण के लिए न्यूनतम आयु 18 साल है। पहले मतदाता के रजिस्ट्रीकरण के लिए आयु 21 साल थी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 को संशोधित करने वाले 1989 के अधिनियम 21 के साथ पठित संविधान के 61वें संशोधन अधिनियम, 1988 के द्वारा मतदाता के पंजीकरण की न्यूनतम आयु को 18 साल तक कम कर दिया गया है। इसे 28 मार्च, 1989 से लागू किया गया है।

 

 

एक निर्वाचन क्षेत्र में ही हो सकता है रजिस्ट्रर
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति उसी निर्वाचन-क्षेत्र में एक से अधिक स्थानों में अथवा एक से अधिक निर्वाचन-क्षेत्र में रजिस्ट्रीकृत नहीं हो सकता।

 

निर्वाचक नामावलियाँ तैयार करने का दायित्व
संसदीय अथवा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण दायित्व ऑफिसर का होता है। दिल्ली के मामले में ये क्षेत्रीय उपप्रभागी मजिस्ट्रेट/अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी होते हैं। निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र की निर्वाचक नामावलियों की तैयारी का जवाबदायी होता है और यही उस संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली होती है जिससे वह विधान सभा खण्ड संबंधित है…Next

 

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