Menu
blogid : 26149 postid : 2017

द जंगल बुक के मोगली को गढ़ने वाले रुडयार्ड किपलिंग कहानियों में डूबे तो नोबेल लेकर लौटे

विश्‍व प्रसिद्ध रचना द जंगल बुक के राइटर रुडयार्ड किपलिंग की आज बर्थ एनीवर्सरी है। द जंगल बुक जैसी कई और किताबें, कविताएं और कहानियां लिखकर लोगों के दिलों में अमर होने वाले रुडयार्ड किपलिंग भारत के मुंबई में जन्‍में थे। उनका बचपन काफी मुश्किल में बीता। बड़े होकर वह किताबों में डूबे और लेखनी का जादू चलाया तो उन्‍हें नोबेल से सम्‍मानित किया गया।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan30 Dec, 2019

 

 

 

 

‘जंगल जंगल बात चली है’
रुडयार्ड किपलिंग को विश्‍व के नामचीन लेखक, कवि के तौर पर जाना जाता है। बच्‍चों के लिए विशेष स्‍नेह रखने वाले रुडयार्ड ने उन पर कई कालजयी रचनाएं रचीं। इनमें द जंगल बुक सबसे प्रसिद्धि हासिल करने वाली किताब बनी। द जंगल बुक पर टीवी सीरीज, फीचर फिल्‍म, ऐनीमेशन फिल्‍म और अलग अलग भाषाओं में रीमेक किया गया। इसकी हिंदी भाषा की फिल्‍म के गाने ‘जंगल जंगल बात चली है’ ने लोकप्रियता में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

 

Image

 

 

 

भारत में जन्‍म और इंग्‍लैंड में पढ़ाई
ब्रिटिश कालीन भारत के बांबे शहर में 30 दिसंबर 1865 को रुडयार्ड किपलिंग का जन्‍म प्रोफेसर जॉन लॉकवुड किपलिंग और ऐलिस किपलिंग के घर हुआ। रुडयार्ड ने अपने बचपन के 5 साल भारत में बिताए। इस दौरान उन्‍हें यहां के बच्‍चों से लगाव हो गया। इस बीच उनकी मां ने अंग्रेजी की शिक्षा हासिल करने के लिए रुडयार्ड को इंग्‍लैंड के साउथ आर्मी स्‍कूल भेज दिया।

 

 

Image result for rudyard kipling"

 

 

होलोय ने बचपन नरक बना दिया
किपलिंग फैमिली ने इंग्‍लैंड में पढ़ाई के दौरान रुडयार्ड को होलोय फैमिली के सुपुर्द कर दिया। होलोय फैमिली की महिला मिस होलोय का रुडयार्ड के प्रति बर्ताव अच्‍छा नहीं था। इस बात का जिक्र कई किताबों और खबरों के जरिए सामने आ चुका है। मिस होलोय रुडयार्ड को बोझ समझती थीं और उनके साथ शौतेला व्‍यवहार करती थीं। उस दौरान
रुडयार्ड अकेले पड़ गए और उनकी दोस्‍ती किताबों से हो गई।

 

 

Image result for the jungle book rudyard kipling"

 

 

भारतीय शहरों से निकलीं कालजयी रचनाएं
बड़े हो रहे रुडयार्ड के मन में अपने बचपन की यादें गहरे घर कर गई थीं। यही वजह रही कि वह उन यादों को किस्‍सों में तब्‍दील कर लेखनी में उतारने लगे। बचपन से जुड़े किस्‍सों और शरारतों को उनकी किताबों और लेखनी में अच्छे से महसूस भी किया जा सकता है। रुडयार्ड अपनी जवानी के दिनों में बांबे लौटने के लिए उतावले होने लगे। जब वह करीब 17 साल के थे तब सितंबर 1882 में वह अपने जन्‍मस्‍थान बांबे आए।

 

 

Image result for rudyard kipling"

 

 

नोबेल पाने वाले अंग्रेजी साहित्‍य के पहले लेखक
किपलिंग कलकत्‍ता, देहरादून, शिमला, राजस्‍थान समेत भारत के कई शहरों में रहने के दौरान कई रचनाओं को लिखा और अखबारों में काम करते रहे। यहां रहते हुए उन्‍होंने शहरों से प्रेरित शार्ट स्‍टोरीज को अपनी लेखनी की प्रमुखता बनाया। मार्च 1889 में रुडयार्ड लंदन लौट गए। 1907 में रुडयार्ड किपलिंग को साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार प्रदान किया गया। यह पुरस्‍कार पाने वाले वह अंग्रेजी भाषा के पहले साहित्‍यकार बने। 18 जनवरी 1936 को लंदन में रुडयार्ड किपलिंग ने अंतिम सांस ली।…Next

 

 

Read more:

रतन टाटा आज भी हैं कुंवारे, इस वजह से कभी नहीं की शादी

हर रोज 10 में 9 लोगों की मौत फेफड़ों की बीमारी सीओपीडी से, एक साल में 30 लाख लोगों की गई जान

घुटनों का दर्द छूमंतर कर देगा अदरख और हल्‍दी का लेप, जानिए सेब और संतरा कैसे दूर करता है हड्डियों का दर्द

टीपू सुल्‍तान ने ऐसा क्‍या किया जो कहलाए फॉदर ऑफ रॉकेट, जानिए कैसे अंग्रेजों के उखाड़ दिए पैर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh