14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स) के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए। जैश-ए-मोहम्मद की इस कायराना हरकत पर पूरा देश आक्रोश में है। ऐसे में सोशल मीडिया पर जमकर बहस छिड़ रही है। कई लोग जवानों को दी जाने वाली सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं तो ज्यादातर लोग शहीदों की शहादत पर गमगीन है। ऐसे माहौल में सीआरपीएफ के जवानों के बारे में जानने की उत्सुकता लोगों में बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ये पहला मौका नहीं है इससे पहले भी सीआरपीएफ के जवान युद्ध में अपनी जान पर खेलकर देश के लिए युद्ध में भाग लेते रहे हैं।
कैसे हुई थी CRPF की स्थापना
सीआरपीएफ पैरा-मिलिटरी फोर्स है। जब इस बल का निर्माण हुआ था तो इसका नाम क्राउन रिप्रजेंटेटिव्स पुलिस था, यानी CRP। 27 जुलाई, 1939 के दिन इसकी स्थापना हुई थी। तब इसका जिम्मा था देसी रियासतों में बढ़ रहे विद्रोह को रोकना। मुल्क की आज़ादी के समय जूनागढ़ और काठियावाड़ रियासतों को भारत का हिस्सा बनाने में भी CRPF की भूमिका रही। फिर आज़ादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद के ऐक्ट के मार्फ़त इसका नाम बदलकर Central Reserve Police Force (CRPF) कर दिया गया। अब CRPF पैरा- मिलिटरी फोर्स का हिस्सा बन गई। पैरा- मिलिटरी फोर्स सेना से अलग होती है। इसके लिए अर्ध सैनिक बल टर्म का इस्तेमाल होते देखा होगा। CRPF को सिंध, कच्छ और राजस्थान बॉर्डर पर तैनात किया गया। फिर जब जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान ने गड़बड़ शुरू की और घुसपैठ शुरू हुई, उनसे निपटने का जिम्मा मिला सीआरपीएफ को मिला। सीआरपीएफ के जवानों की शहादत को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ के रूप में किया जाता है याद चीन से 1962 के युद्ध में भारत बुरी तरह हार गया था। युद्ध की शुरूआत हुई 21 अक्तूबर, 1959 के दिन हुए हमले से। जब तिब्बत से सटे लद्दाख बॉर्डर पर CRPF के जवान ड्यूटी कर रहे थे और चीन के सैनिकों ने एकाएक उन पर हमला कर दिया। उस हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे। तब से इस दिन को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
90 के दशक में कश्मीर घाटी पर तैनात किए गए थे सीआरपीएफ के जवान
1990 के दशक में घाटी में तनाव का माहौल था। ऐसे में हालात काबू से बाहर थे। इस मौके पर जिम्मेवारी मिली BSF और CRPF को। 2003 से 2007 तक BSF को धीरे-धीरे वापस बॉर्डर पर भेजा दिया गया और घाटी की पूरी जिम्मेवारी CRPF के हवाले कर दी गई। पिछले 15 सालों से घाटी CRPF की निगरानी में है। खबर के मुताबिक इस समय जम्मू-कश्मीर में CRPF के करीब 60,000 जवान अंदरूनी सुरक्षा संभाल रहे हैं।
तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने सीआरपीएफ को मल्टी टास्किंग फोर्स के रूप में ढालने की कल्पना की थी। उनका मानना था कि CRPF को अलग-अलग तरह के हालात में, अलग-अलग तरह की जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जाए। तभी हर जोखिम में आपको सीआरपीएफ के जवान वहां तैनात दिखाई देंगे…Next
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