ताजमहल को लेकर कई विवाद होते रहते हैं। कभी इसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग होती है, तो कभी इसकी खूबसूरती खतरे में पड़ने की खबर सामने आती है। कई बार इसकी नींव को लेकर भी सवाल खड़े किए जाते हैं। इन बातों से परे ताजमहल की लोकप्रियता में कोई कमी देखने को नहीं मिलती। वहीं, लोग ताजमहल को मुहब्बत की मिसाल मानते हैं। आज के दिन मुमताज महल दुनिया को अलविदा कह गई थी। ‘ताजमहल या ममी महल’ के लेखक अफसर अहमद ने अपनी किताब में शाहजंहा और मुमताज से जुड़ी खास बातों का जिक्र किया है। उन्होंने विस्तार से लिखा है कि मुमताज की मौत किन हालातों में हुई थी।
मुमताज महल और शाहजहां की लवस्टोरी
शाहजहां ने मुमताज को सबसे पहले मीना बाजार में देखा था। इसके बाद से मुमताज पर शाहजहां फिदा हो गए थे। 14 साल की उम्र में मुमताज महल की सगाई शाहजहां के साथ हुई। दोनों की मुलाकात एक बाजार में हुई थी। सगाई के पांच साल बाद 10 मई, 1612 को शाहजहां से मुमताज का निकाह हुआ। मुमताज महल शाहजहां की तीसरी और पसंदीदा बेगम थी। मुमताज महल बहुत अच्छी शतरंज खिलाड़ी थी। वे शाहजहां से भी अच्छा खेल लेती थीं।
शाहजहां का 14वां बच्चा बना मुमताज की मौत की वजह
डेक्कन (साउथ इंडिया) में खान जहां लोदी के विद्रोह को काबू करने के लिए शाहजहां को बुरहानपुर जाना था, तब मुमताज गर्भवती थीं। मुमताज की फुल टाइम प्रेग्नेंसी के बावजूद शाहजहां उसे आगरा से 787 किलोमीटर दूर धौलपुर, ग्वा लियर, मारवाड़ सिरोंज, हंदिया होता हुआ बुरहानपुर ले गया। यहां सैनिक अभियान चल रहा था। लंबी यात्रा की वजह से मुमताज बेहद बुरी तरह थक गई थी और इसका असर उसके गर्भ पर पड़ा। मुमताज को दिक्कतत शुरू होने लगी। मुमताज जब प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी, उस वक्तत शाहजहां डेक्कन के विद्रोह को खत्म करने के बाद की रणनीति बना रहा था। उसे मुमताज की खराब हालत की सूचना मिली। इस दौरान वह मुमताज के पास नहीं गया। उसने दाइयों को भेजने के निर्देश दिए।
मुमताज दर्द से बुरी तरह परेशान रही। शाही हकीम वजीर खान उनके पास मौजूद था। वह पहले भी प्रसव के दौरान रह चुका था। 30 घंटे की लंबी जद्दोजहद के बाद मुमताज के आधी रात को एक बेटी गौहर आरा पैदा हुई, लेकिन मुमताज बेहाल थी। बच्ची की जन्म के बाद वो बुरी तरह कांपने लगी और उसकी पिडलियां ठंडी पड़ने लगी। दाइयां और हकीम मुमताज के शरीर से हो रहे अत्यधिक रक्तस्राव को नहीं रोक सके। वह तड़प रही थी। इधर, शाहजहां को ने अपने कमरे से कई संदेशवाहक भेजे, लेकिन कोई लौटकर नहीं आया। रात काफी हो चुकी थी। आधी रात से प्यादा का वक्त हो चुका था। शाहजहां ने खुद हरम में जाने का फैसला किया, तभी उसके पास संदेश आया, “बेगम ठीक हैं, लेकिन काफी थकी हुई हैं। बच्चीम को जन्मल देने के बाद मुमताज गहरी नींद में चली गई हैं। उन्हें परेशान न किया जाए।
शाहजहां ने नहीं रखी मुमताज की कसम
वे इसके बाद सोने के लिए अपने कमरे के अंदर चले गए। सोने से ठीक पहले उसकी बेटी जहां आरा वहां पहुंची और उसने मां की बिगड़ती हालत के बारे में बताया। जब शाहजहां हरम पहुंचा, तो वहां उसने मुमताज को हकीमों से घिरा हुआ पाया। मुमताज छटपटा रही थी। वह मौत के करीब थी। शाहजहां के पहुंचते ही शाही हकीम को छोड़कर तमाम लोग कमरे से बाहर चले गए। बादशाह की आवाज सुनकर मुमताज अपनी आंखें खोलीं। उनमें आंसू भरे हुए थे। शाहजहां मुमताज के सिर के पास बैठ गया। उनकी गोदी में मुमताज ने दम तोड़ा। 17 मई 1612 को मुमताज महल और शाहजहां की शादी हुई। उन्होंमने 14 बच्चों को जन्म2 दिया। इनमें से आठ लड़के और छह लड़कियां थीं। इनमें सिर्फ सात ही जिंदा बचे। शादी के बाद मुमताज महल ने लगातार 10 बच्चोंम को जन्मर दिया। 10वें और 11वें बच्चेक के जन्म में पांच साल का अंतर था। 1627 में वो 12वीं बार गर्भवती हुईं। दो साल बाद 1629 में 13वें बच्चेा को जन्मल दिया। 14वें बच्चे6 को 1631 में जन्मव देने के दौरान 30 घंटे की प्रसव पीड़ा से जूझते हुए मुमताज ने दम तोड़ दिया था। मुमताज ने मरने से पहले शाहजहां से कसम ली कि वो उनके बाद किसी से शादी नहीं करेंगे लेकिन शाहजहां ने कुछ ही दिनों बाद मुमताज की छोटी बहन से शादी कर ली। इसके अलावा भी शाहजहां ने दो निकाह और किए।…Next
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