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RBI के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन को पढ़ाने वाले वो प्रोफेसर जिनकी जिंदगी है एक मिसाल, सारी सुविधाएं छोड़कर रहते हैं जंगल में

पर्दे पर परफॉर्म करने वालों को तो दुनिया जानती है लेकिन पर्दे के पीछे भी एक दुनिया होती है। जो मंच पर अदाकारी करने वाले लोगों को इस काबिल बनाता है जिससे पूरी दुनिया में उसकी पहचान बने। पर्दे के पीछे काम करने वाले लोग भी किसी हीरो से कम नहीं है। आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के टीचर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अपने कई इंटरव्यू में रघुराम राजन ने अपनी टीचर के बारे में काफी खास बातें शेयर की हैं। आज रघुराम राजन का जन्मदिन है ऐसे में, उनकी कामयाबी में उनके टीचर की मेहनत भी कुछ कम नहीं है। उनके प्रोफेसर आलोक सागर ने अपनी जिंदगी आदिवासियों के लिए समर्पित कर दी है। साथ ही उनके जीवन को करीब से जानने के लिए वो उनके साथ रहे भी।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal3 Feb, 2019

 

 

 

 

कौन है आलोक सागर

प्रोफेसर आलोक सागर ने 1973 में आईआईटी दिल्ली से एमटेक किया जबकि 1977 में टेक्सास के हयूस्टन यूनिवर्सिटी से मास्टर और पीएचडी  की डिग्री ली। दिल्ली के रहने वाले आलोक पिछले 32 सालों से अपनी सुख-सुविधा को त्यागकर बैतूल जिले में आदिवासी लोगों को शिक्षित करने में जुटे हैं। 1982 में दिल्ली आईआईटी में प्रोफेसर की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। आपको बता दें कि आलोक ने पूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को भी पढ़ाया है।आलोक सागर के पिता सीमा व उत्पाद शुल्क विभाग में कार्यरत थे। एक छोटा भाई अंबुज सागर आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर है। एक बहन अमेरिका में तो एक बहन जेएनयू में कार्यरत थी। सागर को कई सारे विदेशी भाषाएं आती है. यही नहींं वो आदिवासियों से उन्हीं की भाषा में बात करते हैं।

 

 

 

 

25 सालों से रह रहे हैं आदिवासियों के बीच

मूलत दिल्ली के रहने वाले आलोक सागर 26 सालों से बैतूल जिले में आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं, वे भौरा तहसील के एक छोटे से गांव में झोपड़ी बना कर रहने के साथ पढ़ाते भी हैं। 1990 से बैतूल जिले के एक ही छोटे से आदिवासी गांव कोचामाऊ में रह रहे हैं। वो अपनी इस शैक्षणिक योग्यता को छिपाए, जंगल को हर-भरा करने के अपने मिशन में लगे हैं क्योंकि वो अपनी उच्‍च शिक्षा उस आधार पर औरों से अलग नहीं खड़े होना चाहते थे. उनका जीवन आज लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। उनके पास पहनने के लिए बस तीन कुर्ते हैं और एक साइकिल। उन्‍हें कई भाषाएं बोलनी आती है लेकिन न सबके बावजूद वे बस इन पिछड़े इलाकों में शिक्षा का प्रसार करने में लगे हैं।

 

 

उनकी सच्चाई ऐसे आई सामने

उपचुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयोग में आलोक सागर के खिलाफ शिकायत की गई। इस शिकायत के बाद पुलिस ने उनसे गांव छोड़ने को कहा। पुलिस ने जब उन्हें जेल में डालने की बात कही, तो उसके बाद अपने गांव के लोगोंं के कहने पर उन्होंंने अपनी सच्चाई बताई…Next

 

 

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