Saadat Hasan Manto birth anniversary : अपनी जीती जागती कहानियों से दुनियाभर में अपनी आवाज पहुंचाने वाले मशहूर साहित्यकार सआदत हसन मंटो से तत्कालीन पाकिस्तान सरकार इस कदर खौफजदा थी उनकी कहानियों पर बैन लगा दिया था। अपनी कहानियों से राजनीतिक और समाजिक असलियत बयान करने के कारण सआदत हसन मंटो पर मुकदमा भी चलाया गया। दुनियाभर में सआदत हसन मंटो की जयंती आज मनाई जा रही है। आइये जानते हैं उनके जीवन के कुछ रोचक किस्सों के बारे में।
वकालत करने की बजाय लेखन चुना
पंजाब के लुधियाना में 11 मई 1912 को धनाढ्य परिवार में सआदत हसन मंटो का जन्म हुआ। उनके घर में ज्यादातर लोग वकालत के पेशे में थे या बड़े सरकारी ओहदे पर। मंटो के पिता जाने माने वकील थे। वह चाहते थे कि बेटा भी वकालत करे लेकिन मंटो में लेखन का शौक पनप गया। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने फ्रांस और रूस के चर्चित साहित्यकारों का अध्ययन करना शुरू कर दिया।
पहली कहानी से ही लोकप्रिय हुए
मंटो ने अपनी लेखनी में क्रांतिकारी रुख अपनाया और उन्होंने जलियावालां बाग हत्याकांड पर केंद्रित पहली कहानी तमाशा लिखी। इस कहानी से मंटो लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए। मंटो को भारत पाकिस्तान के बंटवारे से उपजे हालात ने झकझोर दिया। मंटो की कलम से लोगों का दर्द और पीड़ा निकलने लगी।
कहानियां पढ़ते पढ़ते रो उठते थे लोग
सआदत मंटो ने सरकार की खामियों को उजागर करते हुए धड़धड़ा लिखने लगे। उन्होंने टोबा टेक सिंह, ठंडा गोश्त, काली सलवार और बू जैसी सामाजिक चेतना को हिला देने वाली कहानियां लिखीं। इन कहानियों में लोगों को असलियत दिखने लगी। लोगों की लाचारी और उन पर होने वाले अत्याचार को उन्होंने अपनी कहानियों और किताबों के जरिए दुनिया के सामने ला दिया। लोग उनकी कहानियों को पढ़कर रो उठते थे और उनमें समाज को बदलने का जज्बा जाग उठता था।
मंटो पर मुकदमा चलाया गया
सआदत हसन मंटो की कहानियों और उनकी लोकप्रियता से तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की चूलें हिल गईं। मंटो पर उनकी कहानियों में अश्लीलता परोसने का आरोप लगाकर कोर्ट में मुकदमा चलाया गया। मंटो ने कोर्ट में कहा कि जो उन्होंने देखा है और जो समाज की सच्चाई है उनकी कहानियों में वही लिखा गया है। उन्होनें कहा कि जो हो रहा वह ही उनकी कहानियों का हिस्सा है और वह सच लिखते हैं।
3 कहानियां बैन की गईं थीं
पाकिस्तान सरकार ने मंटो की कहानियों ठंडा गोश्त, काली सलवार और बू पर बैन लगा दिया। मंटो ने कभी हार नहीं मानी और वह लगातार लिखते रहे। इस दौरान उन्होंने भारत से दूर होने के बारे में भी खूब लिखा। वह पाकिस्तान जरूर चले गए लेकिन उनका दिल कभी भारत से जुदा नहीं हो पाया। मंटो के जीवन के पर दो फिल्में भी बनी हैं। पाकिस्तानी फिल्ममेकर सरमाद खूसत ने मंटो के नाम से भारतीय फिल्ममेकर नंदिता दास ने भी मंटो नाम से 2018 में फिल्म बनाई।…NEXT
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