‘क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?’ कमरे में उसके कुछ करीबी ही बैठे थे, जिसके सामने वो अपनी लिखी हुई कविता सुना रहे थे। सभी की नजरें उनके कविता पाठ करते चेहरे पर टिकी हुई थी कि अचानक उनकी नजरें नीचे झुक गई, आंखों से आसूं बहते हुए उनके हाथों पर टपक रहे थे। उनका गला भर आया था। उनकी ये दशा देखकर किसी को समझते हुए देर नहीं लगी कि उन्हें सालों पहले दुनिया को अलविदा कह चुकी, पत्नी की याद आ गई थी। कमरे में बैठी युवती ने इस व्यक्ति को गले से लगा लिया था। इसके बाद दोनों घंटों तक गले लगकर रोते रहे। इसके बाद दोनों ने जिंदगी साथ बिताने का फैसला लिया और शादी कर ली।
हरिवंश ने अपनी ऑटोबॉयोग्राफी ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’ में इस किस्से का जिक्र किया है। हरिवंशराय बच्चन और तेजी सूरी की मुलाकात कुछ इसी अंदाज में हुई, जब उनके बीच पहला प्यार पनपा। आज के दिन तेजी बच्चन दुनिया को अलविदा कह गई थी। जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्सों के बारे में।
समाजसेविका होने के साथ गायिका और कलाकार भी थीं
12 अगस्त 1914 को एक सिख परिवार में जन्मी तेजी बच्चन एक समाजसेविका होने के साथ गायिका और कलाकार भी थी, जिन्होंने शेक्सपीयर के उपन्यास पर आधारित कई नाटकों में भाग लिया था। साल 2003 में 97 वर्ष की उम्र में तेजी बच्चन हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गई। कहा जाता है कि उनके जाने के बाद अक्सर हरिवंशराय बच्चन अपनी मशहूर कविता ‘क्या भुलूं क्या याद करूं मैं’ गुनगुनाया करते थे। उन्होंने एक बार प्ले में लेडी मैकबेथ का किरदार भी निभाया था। जिसकी काफी सराहना हुई थी। तेजी बच्चन को 1973 में फिल्म फाइनेंस कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाया गया।
राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी के लिए इंदिरा गांधी को मनाया
इंदिरा गांधी राजीव की शादी एक विदेशी से करने के लिए राजी नहीं थी लेकिन कहा जाता है कि तब तेजी बच्चन ने ही उनको शादी के लिए मनाया था। सोनिया गांधी के भारत आने के बाद तेजी बच्चन ने ही उनकी मां का रोल निभाया। उन्होंने सोनिया को भारतीय संस्कृति और तौर तरीकों से वाकिफ कराया। दोनों परिवारों के बीच रिश्ते तब और गहरे हो गए जब 1984 में राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतारा। अमिताभ बच्चन चुनाव जीतकर एक मशहूर चेहरा बन गए थे। बोफोर्स घोटाले में नाम आने के बाद दोनों के बीच मतभेद पैदा हो गए। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद दोनों परिवारों के रिश्ते बिगड़ते चले गए। गांधी परिवार को महसूस हो रहा था कि बुरे वक्त में अमिताभ बच्चन उन्हें अकेला छोड़कर चले गए।
साल 2007 में 93 साल की उम्र में तेजी बच्चन ने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली…Next
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