देश के स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण सत्याग्रह का जिक्र करें, तो महात्मा गांधी को देश के करीब लाने और सत्याग्रह जैसे आजादी की लड़ाई के नए हथियार को मजबूती प्रदान करने में चंपारण सत्याग्रह का अमूल्य योगदान है। इसी सत्याग्रह ने देश में अहिंसक आंदोलन की नींव रखी और आजादी की लड़ाई को कांग्रेस से आगे बढ़ाकर एक जनांदोलन बनाया। 10 अप्रैल को इसके शताब्दी समारोह का समापन है, जो पिछले साल 10 अप्रैल 2017 को शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के समापन के मौके पर चंपारण में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया और स्वच्छाग्रहियों को संबोधित किया। चंपारण सत्याग्रह गांधी के नेतृत्व में भारत का पहला सत्याग्रह आंदोलन था। आइये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
सत्याग्रह के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महात्मा गांधी
चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से देश के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का जुड़ना एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसी सत्याग्रह से अहिंसा के रूप में आजादी की लड़ाई को एक नया हथियार मिला और महात्मा गांधी ने स्वच्छता का संदेश भी दिया। यह वो दौर था, जब गांधी जी अफ्रीका से लौटने के बाद देश को करीब से जानने के लिए देशाटन पर थे। इसी कड़ी में राज कुमार शुक्ला के निमंत्रण पर वे 10 अप्रैल 1917 को बिहार के चंपारण पहुंचे। उस समय अंग्रेजों के नियम-कानून के चलते किसानों को खाद्यान्न की बजाय अपनी जोत के एक हिस्से पर मजबूरन नील की खेती करनी होती था। इसके चलते किसान अंग्रेजों के साथ-साथ अपने भू-मालिकों के जुल्म सहने को भी बाध्य थे।
गांधी जी के पास दुख-दर्द बताने पहुंचे लोग
ऐसे माहौल में जब गांधीजी चंपारण पहुंचे, तो लोग उन्हें अपना दुख-दर्द बताने पहुंच गए। महात्मा गांधी अपने कुछ जानकार मित्रों और सलाहकारों से गांवों का सर्वेक्षण कराकर किसानों की हालत जानने की कोशिश करते रहे और फिर उन्हें जागरूक करने में जुट गए। गांधीजी ने अपने कई स्वयंसेवकों को किसानों के बीच में भेजा। यहां किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गए। लोगों को साफ-सफाई से रहने का तरीका सिखाया गया। स्वयंसेवकों ने मैला ढोने, धुलाई और सफाई तक का काम किया। उन्होंने लोगों को साफ-सफाई से रहने और शिक्षा का महत्व बताया।
सत्याग्रह की पहली विजय का शंखनाद
गांधी जी की बढ़ती लोकप्रियता पुलिस को नागवार गुजरी और उन्हें समाज में असंतोष फैलाने का आरोप लगाकर चंपारण छोड़ने का आदेश दिया गया। सत्याग्रह के अपने प्रयोग से गुजर रहे गांधी जी ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। अदालत में सुनवाई के दौरान गांधी के प्रति व्यापक जन समर्थन को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उन्हें बिना जमानत छोड़ने का आदेश दे दिया, लेकिन गांधी जी अपने लिए कानून अनुसार उचित सजा की मांग करते रहे। सारे भारत का ध्यान अब चंपारन पर था। सरकार ने मजबूर होकर एक जांच आयोग नियुक्त किया, गांधीजी को भी इसका सदस्य बनाया गया। परिणाम सामने था। कानून बनाकर सभी गलत प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया। जमीनदार के लाभ के लिए नील की खेती करने वाले किसान अब अपने जमीन के मालिक बने। गांधीजी ने भारत में सत्याग्रह की पहली विजय का शंखनाद किया। उनके इसी सत्याग्रह ने जनता को जगाने के साथ-साथ एक सूत्र में पिरोने का काम किया…Next
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