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रेलवे लाइन बिछाने के लिए इस राजा ने दिया था अंग्रेजो को 1 करोड़ कर्ज, इंजन को खींचकर लाए थे हाथी

अंग्रेजी शासन से जुड़ी कई बातें हम सभी ने इतिहास में पढ़ी या किसी से सुनी है, ऐसे में एक बात यह भी है कि अंग्रेज भारत पर शासन करते थे उस दौरान वह यहां के राजाओं से कर्ज लेते थे। ऐसी ही एक कहानी है इंदौर के होलकर राजवंश के महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय की, जिन्होंने ब्रिटिश गवर्नर को उस जमाने में एक करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। आइए जानते हैं राजा से जुड़ी दिलचस्प बातें-

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal4 Sep, 2019

 

holker

 

एक करोड़ का दिया था कर्ज

महाराजा तुकोजीराव होलकर की कर्ज की कहानी को इतिहास भी मानता है। इंदौर के आसपास रेलवे के तीन सेक्शन को जोडऩे के लिए रेलवे लाइन बिछाने के लिए एक करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। यह कर्ज 101 वर्ष के लिए 4.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दिया गया था।

 

Holkars

 

अपने राज्य में बिछाई रेलवे लाइन

तब इंदौर पहला राज्य था, जिसने अपने यहां रेलवे लाइन बिछाई। इसके साथ ही होलकर पहला ऐसा राजघराना बना जिसने किसी भी सरकार को कर्ज दिया था। ब्रिटिश गवर्नर ने तुकोजीराव होलकर द्वितीय से 1869 में एक करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसके बाद 1870 में शुरू हुआ था 79 मील लंबी इंदौर-खंडवा रेलवे लाइन पर काम।

 

king india

 

मुफ्त में दी थी जमीन

महाराजा तुकोजीराव होलकर ने द्वितीय रेलवे की स्थापना और उसके लाभ को समझते हुए उन्होंने अंग्रेजो को कर्ज दिया था। हैरानी की बात तो ये है कि राजा ने न केवल एक करोड़ का कर्ज दिया था बल्कि मुफ्त में जमीन भी मुहैया कराई थी। 25 मई 1870 को शिमला में वायसरॉय और गर्वनर जनरल इन कौंसिल ने इस समझौते पर मुहर लगाई थी।

 

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होलकर स्टेट रेलवे के नाम से जाना जाता था

तुकोजीराव होलकर (1844-86) के कार्यकाल में खंडवा से अजमेर तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना 1869 में बनाई गई थी। इस रेलवे लाइन को होलकर स्टेट रेलवे कहा गया। पूरे जिले में रेलवे लाइन की कुल लंबाई 117.53 किमी थी, जो रेलवे के तीन सेक्शन इंदौर-खंडवा, इंदौर-रतलाम-अजमेर और इंदौर- देवास-उज्जैन में बंटी थी।

 

 

kign india railway

 

 

पहला इंजन खंडवा पटरियों पर हाथियों द्वारा खींचकर लाया गया था

जब ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर राजा ने ये रेलवे लाइन बनाने की तैयारी शुरू की उस दौरान इतनी सुविधाएं नहीं थी कि रेलवे के भारी समाना को कही से लाया और ले जाया जा सके। ऐसे में रेलवे इंजन हाथियों द्वारा खींचकर ट्रैक तक लाया गया था। 1877 में रेलवे पूरी तरह काम करने लगी थी। इंदौर से उज्जैन तक फैली इस रेलवे लाइन को राजपूताना-मालवा रेलवे भी कहा जाता था।…Next

 

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