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इस कलाकार ने किया है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण, इससे पहले बना चुके हैं महान हस्तियों की मूर्तियां

सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्धघाटन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जयंती पर मूर्ति का उद्धघाटन किया। गुजरात के केवड़िया स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ मूर्ति182 मीटर ऊंची है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। यह मूर्ति नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मूर्ति को दुनिया भर में मशहूर करने वाले कलाकार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस मूर्ति का निर्माण मशहूर मूर्तिकार राम वी। सुतार की देखरेख में हुआ है। वो देश-विदेश में अपनी शिल्प कला के लिए जाने जाते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal31 Oct, 2018

 

 

300 मूर्तियां बना चुके हैं सुतार
सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। इसके अलावा वे बांबे आर्ट सोसायटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट समेत अन्य पुरस्कार से भी नवाजे गए हैं। वह इन दिनों मुंबई के समंदर में लगने वाली शिवाजी की मूर्ति की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी। सुतार अब तक दुनिया भर में गांधी की साढ़े तीन सौ मूर्तियां बना चुके हैं। सुतार अब तक दुनिया भर में गांधी की साढ़े 300 मूर्तियां बना चुके हैं।

 

 

इन महान हस्तियों की बना चुके हैं मूर्तियां
संसद में लगी इंदिरा गांधी, मौलाना आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू समेत 16 मूर्तियों को भी सुतार ने ही बनाया है। अजंता-एलोरा की गुफाओं की मूर्तियों को पुनः रूप देने का काम भी सुतार ने ही किया है। 50 के दशक की शुरुआत में सुतार ने अजंता और एलोरा की गुफाओं की मूर्तियों की मरम्मत करने में दिलचस्पी भाग लिया था। महाराष्ट्र के धूलिया जिले के गोंडुर में 1925 को जन्मे राम वनजी सुतार को उनके गुरु श्रीराम कृष्ण जोशी ने मूर्तिकला के लिए प्रेरित किया था। सुतार कहते हैं कि उन्होंने मूर्तिकार बनने का ही सपना देखा था और उसमें आगे बढ़ते गए।

 

 

सुतार के सपने में आई थी चिड़ियां!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुतार बता चुके हैं कि बचपन में उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं था, वह ज्यादातर समय चिड़ियों को दाना खिलाने में बिताते थे। एक रात उनके सपने में एक सुनहरी चिड़िया आई और उनसे उनके प्रिय काम को करने के लिए कहने लगी। अगली सुबह वह अपने गुरु के घर से निकल गए और 6 किलोमीटर पैदल रास्ता तय कर शहर पहुंच गए। बहुत मेहनत करके कुछ पैसा जुटाया और बॉम्बे के जेजे आर्ट स्कूल में दाखिला पाने में सफल हो गए। सुतार पढ़ाई के बाद वह 1959 में दिल्ली आ गए। कुछ दिन सूचना और प्रसारण में नौकरी की और फिर फ्रीलांस स्कल्पटर बन गए। दिल्ली के लक्ष्मीनगर में स्टूडियो खोला और फिर 1990 में नोएडा शिफ्ट हो गए। 2004 में उन्होंने अपना स्टूडियो बनाया। 2006 में साहिबाबाद में एक कास्टिंग फैक्ट्री बनाई। सरदार पटेल के रूप में विश्व का सबसे ऊंचा स्मारक बनाने के लिए सुतार को हमेशा याद किया जाएगा…Next

 

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