Menu
blogid : 26149 postid : 1974

अंग्रेजों ने टीपू सुल्‍तान की रॉकेट तकनीक को चुराया, मैसूर टाइगर की तलवार और तोप भी ले गए इंग्‍लैंड

मैसूर के शासक टीपू सुल्‍तान को दुनिया एक शक्तिशाली योद्धा के तौर पर जानती है। हिंदुस्‍तान पर कब्‍जे की नीयत लेकर रजवाड़ों, रियासतों और जागीरों को हड़पने का अभियान चलाने वाले अंग्रेजों को टीपू सुल्‍तान ने कड़ा सबक सिखाया था। टीपू सुल्‍तान की युद्ध नीति और तकनीक से लैस हथियारों के चलते अंग्रेजों को कई बार हार का सामना करना पड़ा था। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों ने टीपू सुल्‍तान की रॉकेट तकनीक को चुरा लिया।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan20 Nov, 2019

 

 

 

राजशाही में जन्‍मे पर आम बच्‍चे की तरह पले
मैसूर राज्‍य के शासक हैदर अली अपने बेटे शहजादा टीपू सुल्‍तान का पालन पोषण सैन्‍य तरीके से कराया। टीपू को बचपन में ही तलवारबाजी, भाला फेंक और मल्‍लयुद्ध का प्रशिक्षण दिला दिया था। हैदर अली ने बेटे को किशोरावस्‍था में ही तोपखाने में नियुक्‍त किया और गोला, बारूद और तोप चलाना सिखा दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि टीपू सुल्‍तान युवावस्‍था में ही शक्तिशाली सैनिक के तौर पर उभर गए। 20 नवंबर 1750 में जन्‍में टीपू सुल्‍तान को हैदर अली की अचानक मृत्‍यु के बाद को मैसूर की गद्दी सौंप दी गई।

 

 

 

 

तोपखानों का निर्माण
गद्दी पर बैठते ही सबसे पहले टीपू को अंग्रेजो से चुनौती मिली। अंग्रेजों की मंशा भांपकर टीपू ने अपनी सैन्‍य शक्तियों का विस्‍तार करने की योजना बनाई। टीपू ने अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए मजबूत और पूरी तरह लोहे से बनी तोपों का निर्माण कराया और तोप चलाने वाले तोपचियों की संख्‍या भी बढ़ा दी। इससे गोला दागने में ज्‍यादा खर्चा होने वाला समय कम हो गया। नतीजतन जब तक अंग्रेज सैनिक गोले के विस्‍फोट से उड़े धुएं और धूल के गुबार से निकलते तब तक दूसरा गोला उनपर फूट पड़ता।

 

Related image

 

 

बांस के रॉकेट से अंग्रेजों को धूल चटाई
जानकारों के मुताबिक टीपू सुल्‍तान की इस आधुनिक तकनीक से बनीं तोपों और रणनीति से अंग्रेज काफी डर गए। इससे सबक लेते हुए अगली बार अंग्रेज संभलकर आए। इससे पहले ही टीपू ने बांस के डंडों में बारूद और गोले बांधकर रॉकेट की तरह इस्‍तेमाल करने की रणनीति बनाई। इससे फायदा यह हुआ कि भारी भरकम तोपों को खींचने और उनके वजनदार गोलों को ढोने से राहत मिली। बांस के रॉकेट में करीब 250 ग्राम बारूद से बने गोले रखे जाते थे। यह रॉकेट 200 मीटर से भी ज्‍यादा दूरी तक मार करते थे। टीपू की इस तकनीक ने अंग्रेजों के पैर उखाड़ दिए और उन्‍हें भागने पर मजबूर कर दिया।

 

 

Image result for Tipu Sultan Sword

 

 

तलवार, तोप और रॉकेट चुरा ले गए अंग्रेज
जानकारों के मुताबिक 1799 में टीपू सुल्‍तान को अंग्रेजों ने षड़यंत्र रच धोखे से मार दिया। टीपू को मारने के लिए अंग्रेजों ने उनकी आभूषण जडि़त मजबूत तलवार छीनने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब न हो सके। टीपू की तलवार के मूंठ यानी हत्‍थे पर शेर बना हुआ था, जिसकी आंखें कीमती मोतियों से बनी थीं। मौत के बाद भी टीपू सुल्‍तान के हाथ से तलवार निकालने के लिए अंग्रेजों को मशक्‍कत करनी पड़ी। टीपू सुल्‍तान की मौत के बाद अंग्रेजों ने उनकी रॉकेट तकनीक को चुरा लिया। अंग्रेजों ने टीपू की युद्धनीति को समझने के लिए उनके हथियारखाने और तोपखानों को जब्‍त कर लिया। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने टीपू सुल्‍तान की तलवार और तोप और रॉकेट तकरनुकसाक को इंग्‍लैंड ले गए। इंग्‍लैंड में टीपू सुल्‍तान के हथियारों की तकनीक समझने के लिए उनकी रिसर्च की।…Next

 

 

Read more:

टीपू सुल्‍तान ने ऐसा क्‍या किया जो कहलाए फॉदर ऑफ रॉकेट, जानिए कैसे अंग्रेजों के उखाड़ दिए पैर

प्‍याज इतनी महंगी कि प्रधानमंत्री ने भी खाना बंद किया, बांग्‍लादेश में सड़कों पर उतरे लोग तो विमान से मंगाई गई प्‍याज

पत्‍नी मायके गई तो शराबी बन गया पति, परेशान माता-पिता ने बेटे को खंभे में बांधकर लगा दी आग

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh