सारे जहां अच्छा हिन्दुस्तां हमारा… राष्ट्रीय पर्व हो या फिर भारत का क्रिकेट मैच हाथों में भारत का तिरंगा थामे भारतीयों का देशप्रेम अलग ही दिखता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बनाया गया है, जिसमें बीच में नीले रंग का अशोक चक्र इसे और भी दिलचस्प बनाता है।
क्या आप जानते हैं, जिस ध्वज को आप इतनी शान से लेकर चलते हैं, उसे किसने डिजाइन किया था? देश का राष्ट्रध्वज पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी व कृषि वैज्ञानिक थे। उनका जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। आज के दिन 1963 को वो दुनिया को अलविदा कह गए थे।
30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज पर हुआ गहन अध्ययन
जिस व्यक्ति ने भारत की शान तिरंगे का निर्माण किया उसका नाम ‘पिंगली वेंकैया’ है और उन्होंने ध्वज का निर्माण 1921 में किया था, लेकिन इसे बनाना इतना आसान नहीं था। इसे बनाने से पहले उन्होंने 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, उसके बाद जाकर अपने तिरंगे को बनाया।
शुरुआत में कुछ ऐसा होता था तिरंगा
पिंगली वेंकैया ने देश की एकता को दर्शाते हुए भारत के हर रंग को अपने तिरंगे में जगह दी थी। सर्वप्रथम तिरंगे के अंदर तीन रंगों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें लाल रंग हिंदुओं के लिए हरा रंग मुसलमानों के लिए और सफेद रंग अन्य धर्मों के लिए इस्तेमाल किया गया था। चरखे को प्रगति का चिन्ह मानकर झंडे में जगह दी गई थी। 1931 में जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसमें लाल रंग को हटाकर केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया।
कौन है पिंगली वेंकैया?
पिंगली वैंकैया आंध्रप्रदेश में मछलीपत्तनम के निकट एक गांव के रहने वाले थे। पिंगली 19 साल की उम्र में ब्रिटिश आर्मी में सेना नायक बन गए। दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई जिसके बाद वह हमेशा के लिए भारत लौट आए। भारत आने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। बाद में वह स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचाने जाने लगे।
45 साल की उम्र में उन्होंने किया ध्वज का निर्माण
करीब 45 साल की उम्र में पिंगली ने राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया और आखिरकार 22 जुलाई 1947 संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज को सर्वसम्मति से अपना लिया और ध्वज में से चरखे को हटाकर सम्राट अशोक का धर्मचक्र इस्तेमाल किया गया।
46 साल बाद मिला पिंगली को सम्मान
राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जिसने देश को पहचान दिलाई, उसे ही सम्मान देने में करीब 45 साल लग गए। गरीबी की हालत में 1963 में पिंगली वेंकैया का विजयवाड़ा में एक झोपड़ी में देहांत हो गया। सालों बाद मिला पिंगाली वैंकैया के सम्मान में साल 2009 में एक डाक टिकट जारी हुआ, जिस पर पिंगली की फोटो छपी थी। जनवरी 2016 में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो बिल्डिंग में उनकी प्रतिमा स्थापित की।…Next
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