कतर का सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और बहरीन के साथ जून से ही तनाव चल रहा है, वहीं, कतर का कहना है कि वह तनाव के कारण नहीं, बल्कि LNG पर फोकस करने के लिए ओपेक से अलग हुआ हैं। ऐसे में इंटरनेशनल मीडिया में कतर और ओपेक से जुड़ी कई खबरें चल रही है कि कतर के अलग होने से वैश्विक स्तर पर इसका क्या असर होगा। इन खबरों के बीच सभी के मन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर ओपेक क्या है और क्या है विवाद। आइए, जानते हैं।
क्या है ओपेक
पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का संगठन, जिसे ओपेक भी कहा जाता है, 1960 के दशक में तेल उत्पादन, कीमतों और नीतियों के समन्वय के लिए बना एक अंतर-सरकारी संगठन है। आज ओपेक में 14 सदस्य देशों का समावेश है जिसका प्राथमिक लक्ष्य वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करना है, जो कि दोनों उत्पादकों और उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं पर संतुलित रूप से काम करता है।
ओपेक तेल की कीमतों को कैसे नियंत्रित करता है
तेल बाजार पर ओपेक के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक उत्पादन में कटौती है। सदस्य देशों के लिए उत्पादन कोटे के माध्यम से आउटपुट को कम करके तेल उत्पादन और तेल की कीमतों के विश्व स्तर पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। ओपेक सदस्यों द्वारा पहला औपचारिक उत्पादन समझौता 1982 में वापस आया था, जब 13 सदस्यों ने प्रतिदिन 17।5 मिलियन बैरल के कुल उत्पादन को प्राप्त करने के लिए अपने दैनिक उत्पादन को लगभग 700,000 बैरल तक कम करने का फैसला किया था।
कतर क्यों हो रहा है ओपेक से अलग
जून 2017 से ही ओपेक के किंगपिन सऊदी अरब ने तीन अन्य अरब देशों यूएई, बहरीन और मिस्र के साथ मिलकर कतर से अपने व्यापारिक रिश्ते एवं परिवहन संपर्क खत्म कर दिए। इन देशों ने कतर पर आतंकवाद और इलाके के प्रतिस्पर्धी देश ईरान का समर्थन करने का आरोप लगाया है। हालांकि, कतर ने इस आरोप को खारिज कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि उसके ओपेक से निकलने का कारण उसका पड़ोसी देशों के साथ जारी तनाव नहीं है। कतर के एनर्जी मिनिस्टर साद अल-काबी ने कहा, ‘हम इस संगठन में छोटे प्लेयर हैं और हमें अपने विकास पर ध्यान देना है। इसलिए हम संगठन से अलग हो रहे हैं।’ काबी ने कहा, ‘कच्चे तेल में हमारे लिए अधिक संभावनाएं नहीं हैं। हम वास्तविकता पर यकीन करते हैं। हमारी संभावनाएं गैस में हैं।’
भारत पर क्या पड़ेगा इसका असर
कतर भारत का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक देश है। वह अपने कुल एलएनजी उत्पादन का 15 प्रतिशत भारत को निर्यात करता है। इसे दूसरी तरफ से देखें तो भारत कुल 65 प्रतिशत एलएनजी का आयात कतर से करता है। लेकिन, भारत का सऊदी अरब के साथ भी अच्छा संबंध है और सऊदी दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है। ऐसे में भारत को संतुलित कदम बढ़ाने की जरूरत है…Next
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