अगर आपका बचपन 80-90 के दशक के आसपास गुजरा है, तो आपको याद होगा कि आंगन और छतों पर गर्मियों की दोपहरी गौरेया चिड़िया दिख ही जाती थीं। गौरेया का घोंसला और उसके नन्हे से बच्चे हमारे बचपन की सबसे मीठी यादें हैं लेकिन फिर 90 का दशक आते-आते चिड़िया की यह तादाद कुछ कम हुई है, खासतौर पर महानगरों में तो संख्या न के बराबर हो गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 20 साल में गौरेया की संख्या 60 फीसदी तक कम हुई है। आज विश्व गौरेया दिवस है, आइए जानते हैं खास बातें।
2012 में दिल्ली सरकार ने घोषित किया था राज्य पक्षी
विश्व गौरैया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। यह दिवस दुनिया में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मना रहा है। गौरैया की घटती संख्या को लेकर यह दिवस मनाए जाने लगा है और साल 2010 में पहली बार गौरैया दिवस मनाया गया था। एक समय में यह घर के आंगन में चहकती करती दिखाई दे जाती थी, लेकिन अब इसकी आवाज कानों तक नहीं पड़ती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार गौरैया की संख्या में करीब 60 फीसदी तक कमी आ गई है। इस दिवस का उद्देश्य गौरैया का चिड़िया का संरक्षण करना है। कुछ वर्षों पहले आसानी से दिख जाने वाला यह पक्षी अब तेजी से विलुप्त हो रहा है। राजधानी दिल्ली में तो गौरैया की संख्या में बहुत ही कमी देखने को मिली है। साल 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।
‘रेड लिस्ट’ में है गौरेया दिवस
‘रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है। खास बात यह है यह कमी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखी गई है। पश्चिमी देशों में हुए अध्ययनों के अनुसार गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।
मोबाइल टॉवर की रेडिएशन का खतरा
एक रिसर्च के मुताबिक, जैसे-जैसे मोबाइल टॉवर की तादाद बढ़ती गई, वैसे-वैसे गौरैया कम होती गईं। दरअसल, ऐसा दावा है कि इन टॉवर्स से जो तरंगें निकलती हैं, वो गौरैया की प्रजनन क्षमता को कम करती है।
आपकी भी है जिम्मेदारी
खिड़कियों या घरों के कोनों मे दाना और पानी से भरी कटोरियों में लटकाएं। छत पर कुछ बोंसाई गमले लगा सकते हैं। इनको दाना और पानी मिलेगा तो ये जरूर आएंगी।
चाहें तो कुछ घोंसले भी बना सकते हैं। आप इनको रखकर फिर दूर हो जाएं। गौरैया इन्हें अपने लिए इस्तेमाल कर लेंगी।
बाहर की तरफ के कमरों में सीलिंग फैन चलाने से पहले देखें कि कहीं पक्षी तो नहीं बैठे।…Next
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