दुनिया में तेजी से घट रहे जलस्तर को देखते हुए ऐसा लगता है कि अगर कभी दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ा, तो जरूर पानी के लिए छिड़ेगा।
सोचिए, हर रोज हम जितना पानी फिर्जूल में बहा देते हैं, उससे कितने लोगों की प्यास बुझ सकती है। अगर हम रोजाना बिना जरूरत के पानी न बहाए, तो हम जलस्तर को खतरे के निशान से नीचे जाने में बचा सकते हैं। आज जल दिवस है, आइए, जानते हैं कुछ ऐसी कहानियां जिससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि दुनियाभर में लोग कैसे पानी की कमी से जूझ रहे हैं। आपको जानकर है दुनिया में 400 करोड़ लोग पानी की तंगी झेल रहे हैं, इनमें 100 करोड़ तो भारत में ही हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
देश के 100 करोड़ लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। यह आंकड़ा दुनियाभर में पानी की तंगी झेल रहे लोगों का 25% है। वाटर एड की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के कुल ग्राउंडवाटर का 24% हम इस्तेमाल करते हैं। पिछले दशक में इसमें 23% बढ़ोतरी हुई। यूएसएड की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल भारत जल संकट वाला देश बन जाएगा। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों और तय मात्रा की तुलना में ग्राउंड वाटर का दोहन 70% ज्यादा हो रहा है। इससे हर साल जलस्तर 10सेमी तक नीचे जा रहा है। देश में 23% बढ़ा 10 साल में पानी का दोहन। 70% ज्यादा पानी ले रहे हैं तय मात्रा से। 1170 मिमी औसत बारिश होती है देश में, पर इसका सिर्फ 6% ही हम सहेज पाते हैं। 91 प्रमुख जलाशयों में जलस्तर क्षमता के 25% पर है। 21 शहर 2030 तक ‘डे जीरो’ पर होंगे, यानी इनके पास पानी के स्रोत नहीं बचेंगे। 75% घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है।
इन देशों में पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं लोग
सालभर पहले जो स्थिति दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन की थी, आज वही हालात फिलिपींस के मनीला के हैं। 7,500 से ज्यादा द्वीपों वाले देश का प्रमुख शहर पानी का गंभीर संकट झेल रहा है। 24घंटे लोग पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। यूएन के मुताबिक 2050 तक दुनिया के 200 शहर ‘डे जीरो’ झेलेंगे। इनमें 10 बड़े शहर बेंगलुरू, बीजिंग, इस्तांबुल, मेक्सिको सिटी, सना, नैरोबी, साओ पाउलो, कराची, काबुल और ब्यूनस आयर्स हैं। वाटरएड की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 20 साल में 33 देश सबसे कम पानी वाले हो जाएंगे। 10 बड़े शहरों में पानी खत्म होने को है। 33 देश 20 साल बाद पानी के लिए तरसेंगे। सबसे खास बात ये है कि पापुआ न्यू गिनी में लोग 54% हिस्सा रोजाना की कमाई का पानी जुटाने में खर्च कर देते हैं । अफ्रीकी देशों में पानी जुटाने के लिए एक घंटा लगता है। पानी इकट्ठा करने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। मंगोलिया अकेला ऐसा देश है जहां पानी जुटाने की बराबर जिम्मेदारी पुरुषों की होती है।
स्काईमेट ने इस साल औसत से कम बारिश होने की आशंका जताई है, ऐसे में जलस्तर को लेकर और भी चिंता बढ़ जाती है।…Next
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